उत्तराखंड (Uttarakhand) के देहरादून जिले (Dehradun) के आरक्षित वन क्षेत्र से अब तक अवैध रूप से बनी 25 मजारों की हटाया जा चुका है. रविवार को कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज से एक और मजार (MAZAR) को हटा दिया गया है. दो माह पहले देहरादून शहर के साथ लगे वन प्रभाग से 15, ऋषिकेश (Rishikesh) क्षेत्र से एक और चकराता (Chakrata) क्षेत्र से आठ मजारों (Mazar Removed) को हटाया गया. चकराता वन प्रभाग के एसडीओ मुकुल कुमार ने सभी रेंजरों से आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध निर्माण के संबंध में रिपोर्ट मांगी है. कहा कि रिपोर्ट आते ही प्रभाग अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई तेज करेगा. कालसी वन प्रभाग के रेंजर मुकेश कुमार ने बताया कि आरक्षित वन क्षेत्र से रविवार को एक अवैध मजार को हटाया गया.
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उत्तराखंड (Uttarakhand) क्षेत्र में जो भी अवैध निर्माण चिन्हत किए गए हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है. विभाग की एक टीम आरक्षित वन क्षेत्र में मजार (MAZAR) आदि को चिह्नित करने का काम कर रही है. ढालीपुर क्षेत्र में भी वन विभाग की जमीन पर एक मजार चिह्नित की गई है.
इस मजार को 2013 में बंद कराया गया था, लेकिन वहां पर फिर से लोगों का आवागमन दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में पहले संबंधित को नोटिस दिया जाएगा, उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.
जल्द ही अवैध निर्माणों को तोड़ा जाएगा
वहीं यूजेवीएनएल की मुनादी के बाद शक्ति नहर डाकपथर के किनारे बसे लोगों ने अपने घरों से सामान निकाल कर दूसरी जगह शिफ्ट करना शुरू कर दिया है. निगम प्रशासन फिलहाल सत्यापन की कार्रवाई कर रहा है जल्द ही अवैध निर्माणों को तोड़ा जाएगा.
डाकपत्थर से कुल्हाल तक शक्तिनहर किनारे की सरकारी भूमि पर अवैध कब्जे हटवाने को प्रशासन व यूजेवीएनएल अलर्ट मोड पर है. यहां जेसीबी व ट्रैक्टर ट्रालियों को तैनात किया गया है. जो खुद जमीन खाली नहीं करेंगे उनपर जेसीबी गरजेगी.
वहीं अवैध कब्जाधारियों में घर टूटने को लेकर बेचैनी छाई है. जो सरकारी अधिकारियों, क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व विधायक तक अपनी गुहार लगा रहे हैं. जल विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता अभय सिंह का कहना है कि 11 मार्च तक का अवैध कब्जाधारियों को स्वयं ही कब्जा हटाने के लिए समय दिया गया था. स्वयं ही कब्जाधारी जमीन खाली कर दें तो ज्यादा अच्छा होता. निगम नहीं चाहता कि किसी को असुविधा हो.
इससे पहले अवैध कब्जे ध्वस्त करने को रविवार को एसपी देहात, एसडीएम और यूजेवीएनएल अधिकारियों ने बैठक कर विचार मंथन किया और रूपरेखा बनाई. संबंधित अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया कि कब्जेधारी खुद निगम की जमीन को खाली कर दें, नहीं तो उनसे ही तोड़ने का खर्च वसूला जाएगा. फिल्हाल, कब्जे हटाने से पहले सरकारी जमीन पर अवैध रूप से रह रहे परिवारों का प्रशासन सत्यापन करा रहा है.
डाकपत्थर से कुल्हाल तक शक्तिनहर के किनारे करीब नौ सौ अवैध कब्जे हैं. सरकारी जमीन को खाली कराने के लिए जल विद्युत निगम प्रशासन लंबे समय से प्रयास कर रहा है. अवैध कब्जे चिह्नित कर ध्वस्तीकरण के लिए मकानों पर लाल निशान लगाए गए. नोटिस थमाए गए, मुनादी कराकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने का स्पष्ट संदेश दिया गया. उसके बाद भी अवैध कब्जेधारियों ने जमीनें खाली नहीं की. जिसके बाद प्रशासन ने सख्त रवैया अपना लिया है.