अमेरिका में पैदा हुए एक मंगोलियाई लड़के को तिब्बती बौद्ध धर्म के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेता के अवतार के रूप में प्रकट किया गया है और पहली बार दलाई लामा (Dalai Lama) के साथ देखा गया है. तस्वीरों में भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के धर्मशाला में 87 वर्षीय दलाई लामा के साथ एक समारोह में अमेरिका में जन्मे लड़के को दिखाया गया है, जिसकी उम्र लगभग आठ वर्ष है, उसने चेहरे पर नकाब पहन रखा है और वह लाल रंग का लबादा पहने हुए है.
द टाइम्स के अनुसार, लड़के का औपचारिक नाम, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह 10वें खलखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे (10th Khalkha Jetsun Dhampa Rinpoche) हैं, जोकि तिब्बती बौद्ध धर्म (Tibetan Buddhism) के तीसरे सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेता और मंगोलिया में आस्था के नेता हैं.
लड़के की पहचान के बारे में अफवाहें वर्षों से बौद्ध समुदाय (Bauddh Community) में फैली हुई हैं, लेकिन उनके अस्तित्व की पुष्टि अब केवल भारत में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति से हुई है, जहां दलाई लामा निर्वासन में रहते हैं.
तस्वीरों में लगभग 8 साल का एक लड़का दिखाई दे रहा है, जिसका आधा चेहरा मास्क से ढका हुआ है. वह एक लंबी बाजू की लाल पोशाक पहने हुए हैं और उनके काफी छोटे बाल हैं. इनका एक जुड़वा भाई भी है. इनका जन्म 2015 में अमेरिका में हुआ था और कहा जाता है कि इनके पास दोहरी नागरिकता है.
इनका औपचारिक नाम 10वां खलखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे (10th Khalkha Jetsun Dhampa Rinpoche) है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म में तीसरे सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक नेता और मंगोलिया में विश्वास के नेता (leader of the faith in Mongolia) हैं.
द टाइम्स के अनुसार, दलाई लामा और नवयुवक के समारोह में साथ देखे जाने के बाद से इस खबर ने मंगोलिया में बौद्धों के बीच तीव्र उत्तेजना पैदा कर दी, साथ ही पड़ोसी देश चीन में भी, जोकि इससे नाराज बताया जा रहा है.’
दरअसल, 8 मार्च को धर्मशाला में आयोजित समारोह में 600 मंगोलियाई भी शामिल थे जो अपने नए आध्यात्मिक नेता का जश्न मनाने आए थे. समारोह के दौरान, दलाई लामा ने भीड़ से कहा: ‘आज हमारे साथ मंगोलिया से खलखा जेट्सन धम्पा रिनपोछे का पुनर्जन्म मौजूद है. उनमें से एक ने मंगोलिया में अपने अभ्यास के लिए समर्पित एक मठ की स्थापना की. इसलिए आज उनका यहां आना काफी शुभ है.’
दलाई लामा (Dalai Lama) को अपने मूल देश तिब्बत की ओर से शांतिपूर्ण सक्रियता के लिए 10 दिसंबर, 1989 को नोबेल शांति पुरस्कार मिला. 1935 में जन्मे, उनकी पहचान पिछले दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में हुई, जब वह दो साल के थे.
वह 1959 की शुरुआत में चीनी शासन के खिलाफ एक असफल विद्रोह के बाद तिब्बत की राजधानी ल्हासा से भारत भाग आए थे, और तब से उन्होंने अपने दूरस्थ, पहाड़ी देश में भाषाई और सांस्कृतिक स्वायत्तता के लिए दुनिया भर में समर्थन हासिल करने के लिए काम किया है.
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चीन, जिसने 1950 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा को खतरनाक अलगाववादी कहता है.
उन्होंने कहा कि ‘चीन दलाई लामा के पुनर्जन्म को बहुत महत्वपूर्ण मानता है. वे मुझसे ज्यादा अगले दलाई लामा के बारे में चिंतित हैं,”