देहरादून: उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल (Uttarakhand forest minister Subodh Uniyal) ने नई दिल्ली में कहा कि जोशीमठ संकट (Joshimath crisis) खतरनाक है, क्योंकि ऐसी आपदाएं उत्तराखंड के शहरी इलाकों में हो रही हैं. उन्होंने कहा, ‘अब तक आपदाएं राज्य के दूर-दराज के भीतरी इलाकों में होती थीं. जोशीमठ (Joshimath) का ताजा उदाहरण खतरनाक है और जिस तरह से इस तरह की घटनाएं शहरी इलाकों में होने लगी हैं. पहाड़ियों में सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिसके लिए ब्लास्टिंग की जा रही है. कहीं न कहीं हिलोरें ले रहा है. हमें इन कारणों पर गौर करने की जरूरत है.”
बद्रीनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार शहर जोशीमठ को घरों में दरारें (Joshimath crisis) आने के बाद जनवरी में भूस्खलन-धरावट क्षेत्र घोषित किया गया था और सैकड़ों परिवारों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाना पड़ा था.
राज्यों में आपदा प्रबंधन प्रणालियों की मजबूती विषय पर एक मंत्रिस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा: “पहाड़ी राज्य देश के अन्य हिस्सों से अलग हैं. हमें भूविज्ञान, मौसम, वनस्पति और वन्य जीवन और नदी की गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए पहाड़ी राज्यों के लिए एक अलग नीति बनाने की आवश्यकता है. पहाड़ी राज्यों में भूकंप, भूस्खलन, ग्लेशियर का पिघलना, बादल फटना और जंगल में आग लगना आम बात है. अधिकांश आपदाएं मानसून के मौसम में होती हैं.”
उन्होंने इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए राज्य, अंतरराज्यीय और केंद्रीय संस्थानों के बीच सहयोग और समन्वय पर भी जोर दिया. उनियाल ने हिमालयी राज्यों की संवेदनशीलता को रेखांकित करते हुए अलग नीति बनाने और ऐसे राज्यों को आपदारोधी बनाने के प्रयासों की ओर ध्यान आकर्षित किया और आपदा की स्थिति में पंचायती राज संस्थाओं और स्वयंसेवी संस्थाओं को शामिल करने के महत्व पर बल दिया.