उत्तराखंड: माता-पिता इस धरती पर भगवान का दूसरा रूप होते हैं और इस बात को मानने वाले लोग अपने माता-पिता की सेवा हमेशा ही सर्वोपरि से मानते हैं. मैसूर, कर्नाटक के कंप्यूटर इंजीनियर 44 साल दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार ऐसे ही एक मातृभक्त हैं, जिन्होंने अपनी 73 साल की माता को तीर्थयात्रा कराने का बेड़ा उठाया.
उन्होने यह तीर्थयात्रा अपने पिता के 25 साल पुराने स्कूटर पर की है। अभी वह अपनी बुजुर्ग माता को उत्तराखंड के प्रसिद्ध चारधाम के दर्शन कराने के बाद तीर्थनगरी ऋषिकेश से लौटे हैं.
कर्नाटक के मैसूर के बोगंडी गांव के रहने वाले दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार अद्वितीय हैं. पिछले पांच साल से, वह अपनी मां के साथ अपने पिता के 25 साल पुराने स्कूटर पर भारत भ्रमण कर रहे हैं और तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं. इस स्कूटर के अलावा उनके पास एक टूटी स्क्रीन वाला मोबाइल, दो हेलमेट, दो बोतल पानी, एक छाता और एक बैग है, जिसमें कुछ जरूरी सामान रखा हुआ है। यही हमसफर ही मां-बेटे के सफर के साथी हैं.
दरअसल, साल 2015 में पिता की मौत के एक दिन बाद दक्षिणामूर्ति कृष्ण कुमार की मां चुड़ा रत्नामा ने अपने बेटे से कहा कि संयुक्त परिवार के साथ रहने और परिवार को पालने की व्यस्तता के कारण आज तक उसने घर से बाहर कोई जगह नहीं देखी और यह सुनकर कृष्ण कुमार हैरान रह गए.