उत्तराखंड: रक्षाबंधन पर्व पर केदारनाथ में आज अन्नकूट भतूज मेला मनाया जाता है. केदारनाथ धाम में भतूज,अन्नकूट, मेला हर साल रक्षा बंधन से एक दिन पहले मनाया जाता है. मेले के लिए मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है.
उत्तराखंड मेंं रक्षाबंधन 31 अगस्त को मनाया जा रहा है. भतूज,अन्नकूट के दौरान बाबा केदार को नये अनाज का भोग लगाया जाता है. भतूज,अन्नकूट, मेला को लेकर मान्यता है कि नए अनाज में पाए जाने वाले विष को भोले बाबा स्वयं ग्रहण करते हैं. इस त्योहार को मनाने की पौराणिक परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है. रक्षाबंधन से एक दिन पहले केदारनाथ मंदिर में रात्रि की आरती के बाद सबसे पहले केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी भगवान शिव के स्वयंभू लिंग की विशेष पूजा.अर्चना करते है.
उसके बाद नए अनाज झंगोरा, चावल, कौंणी आदि का लेप लगाकर स्वयंभू लिंग का श्रृंगार करते है. स्थानीय लोगों का कहना है कि केदारघाटी की सभी अविवाहित लड़कियां अपने विवाह होने से पूर्व एक बार शिव के इस रूप का दर्शन करने अनिवार्य रूप से केदारनाथ जाती थी. सुबह 4 बजे तक सजाए गए शिवलिंग के दर्शन केदारनाथ के साथ ही यह पर्व व मेला विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, घुणेश्वर महादेव एवं ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भी मनाया जाता है.
केदारनाथ धाम भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एकमात्र ऐसा स्थान हैं, जहां भतूज मेला लगता है। मेले के दौरान भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट पूरी रात भर सिर्फ इसी एक दिन खुलते हैं. कई सारे श्रद्धालु इस विशाल मेले में शामिल होते हैं और मध्यरात्रि से सुबह 4 बजे तक सजाए गए शिवलिंग के दर्शन करते हैं. रात्रि को शिवलिंग को नए अनाज झगोंरा, चावल, कौंणी आदि के लेप लगाकर श्रृंगार किया जाता है.