उत्तराखंड: शांत वादियों में यूं तो हर बार ही मानसून सीजन में तबाही का मंजर देखने को मिलता है. लेकिन इस बार पहाड़ों के दरकने से और ज्यादा नुकसान हुआ है. मानसून सीजन में दो महीने के दौरान प्रदेश में 90 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है.
मानसून सीजन में उत्तराखंड के पहाड़ों की शांत वादियों में प्रकृति का कहर देखने को मिलता है. कल-कल कर बहने वाली नदियां उफान पर आकर अपना रौद्र रूप दिखाती हैं. तो वहीं सुंदर नजारे वाले पहाड़ों से गिरने वाला मलबा लाखों करोड़ों का नुकसान करता है.
इस बार मानसून सीजन में प्रदेश में 90 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 50 लोग घायल हुए हैं. जबकि 16 लोग लापता हो गए. कई लोगों को भारी भूस्खलन के कारण अपने घर छोड़ने पड़े तो कई लोग अपनों से बिछड़ गए. प्रेदश से मानसून की विदाई नहीं हुई है लेकिन मानसून लोगों को कभी ना भरने वाले जख्म दे गया.
चौंकाने वाली बात ये है कि मानसून सीजन में हुई मौतों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा मौतें भूस्खलन के कारण हुई हैं. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड का 72 प्रतिशत हिस्सा यानी 39 हजार वर्ग किमी क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित है.
बता दें कि देश में रुद्रप्रयाग जिले में भूस्खलन का सबसे ज्यादा खतरा बताया गया। जबकि दूसरे स्थान पर उत्तराखंड का ही जिला टिहरी है. जबकि एनआरएससी की भूस्खलन पर आधारित मानचित्र रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के सभी 13 जिलों में पहाड़ टूटने का खतरा बताया गया है.