उत्तर प्रदेश

ग्रेटर नोएडा में लिफ्ट हादसे में मौत की संख्या हुई 8, लिफ्ट एक्ट बनाने की मांग फिर उठी

ग्रेटर नोएडा: हाइराइज इमारतों में रह रहे लोगों की लाइफ लाइन कहें जाने वाली लिफ्ट ही अब उनकी मुसीबत का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है. विधायको द्वारा यह मामला विधानसभा में उठाने के बावजूद भी अभी तक लोगों की सुरक्षा के लिए लिफ्ट ऐक्ट बनाने के ओर कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखाई दे रही हैं. जबकि हाउसिंग सोसाइटियों में रह रहे निवासी लगातार लिफ्ट ऐक्ट की मांग जोर शोर से उठाते रहे हैं. क्योंकी इस लिफ्ट ऐक्ट के लागू होने से लिफ्ट से होने वाले हादसों के जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय हो सकेगी.

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में शुक्रवार को हुए लिफ्ट हादसे में मजदूरों की मौत की संख्या 8, हो गई है. इसके बाद एक बार फिर लिफ्ट ऐक्ट बनाने की मांग सोसायटी के लोगों द्वारा जोर शोर से की जानें लगीं है. सोसाइटियों में रह रहे लोगों के लिए लिफ्ट लाइफ लाइन कहीं जाती है. अपनी व अपने बच्चों की सुरक्षा के चलते सोसायटी निवासी इस व्यवस्था को सुधारने के लिए लिफ्ट एक्ट बनाने की मांग करते रहे हैं.

विधायक, सांसद से लेकर संबंधित अफसरों तक काफी बार लिफ्ट ऐक्ट बनाने की मांग की जा चुकी है. हाईराइज इमारतों में रह रहे निवासियों ने सांसद, विधायकों तक यह मामला पहुंचाया तो यह मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंच चुका है. विधानसभा के सत्र में इस मामले को विधायक पंकज सिंह और जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह द्वारा उठाया भी जा चुका है.

नोएडा, ग्रेटर नोएडा की संस्था नेफोवा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नोएडा आगमन पर एक ज्ञापन भी सौंपा था. नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार ने कहा है कि विधानसभा में विधायक के द्वारा यह मामला उठाने और संबंधित मंत्री के आश्वासन के बाद भी लिफ्ट ऐक्ट को न बनना एक चिंता का विषय बना हुआ है. संस्था अध्यक्ष द्वारा बताया कि आम्रपाली संबंधित मामले की 18 सितंबर को कोर्ट में सुनवाई है.

नेफोवा के वकील सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में इस मामले की लापरवाही की बात को उठाएंगे.और साथ ही, एनबीसीसी के निर्माण की गुणवत्ता का मामला भी उठाएंगे. नेफोवा के सदस्य दीपांकर कुमार व गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पाण्डेय द्वारा बताया गया की लिफ्ट ऐक्ट का मसौदा वर्ष 2018 को बनाकर तैयार किया जा चुका है. लेकिन अभी तक विधानसभा में पारित नहीं किया जा सका है.

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