नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. कथित शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में सीबीआई ने कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में सिसोदिया का भी नाम लिया है. उन्हें जमानत मिलने की संभावना भी कम हो गई है. दरअसल, भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी को आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होती है वरना आरोपी स्वाभाविक जमानत का हकदार हो जाता है.
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने आरोप पत्र पर विचार करने के लिए 12 मई की तारीख तय की, क्योंकि सीबीआई ने कहा था कि सिसोदिया के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी पहले ही सक्षम अधिकारियों से प्राप्त कर ली गई है.
1. चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि आबकारी नीति को लेकर एक्सपर्ट समिति की सिफारिशों को जीओएम (मंत्रियों के समूह) ने पलट दिया था. इस GoM के हेड सिसोदिया ही थे.
2. इसी जीओएम ने कमीशन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का फैसला लिया था.
3. गैरकानूनी तरीके से मिले पैसे के बदले ‘साउथ लॉबी’ के इशारे पर जीओएम ने 12 प्रतिशत कमीशन का प्रावधान जोड़ा। यह साउथ ग्रुप दिल्ली में ही डटा हुआ था, जब जीओएम रिपोर्ट फाइनल की गई. ऐसे में आखिरी मिनट में कई नियम जोड़े गए.
4. चार्जशीट में आईपीसी की धारा 420 (चीटिंग) और 201 (सबूत नष्ट करना) जोड़ी गई है.
5. आबकारी नीति से संबंधित कानूनी सलाह पर एक नोट गायब है. कानूनी सलाह दी गई थी कि पुरानी नीति ठीक है और इसमें कोई बदलाव की जरूरत नहीं है.