उत्तराखंड (Uttarakhand) में ऐसा पहली बार हुआ है, जब मौसम विभाग ने फरवरी में अत्याधिक तापमान होने का यलो एलर्ट जारी किया है. मौसम विज्ञान केंद्र, देहरादून ने आशंका जताई है कि अगले कुछ दिन तापमान सामान्य से दस डिग्री तक ज्यादा रहेगा. उत्तराखंड में जहां इस मौसम में पर्यटक स्थल और चारधाम बर्फ से लकदक रहा करते थे. वहीं इस बार केदारनाथ को छोड़कर बाकी तीनों धामों में बर्फ नहीं है और स्थानीय लोगों के अनुसार, ऐसा पहली बार हुआ है.
राज्य में इस बार बेहद कम हिमपात हुआ है. कम हिमपात होने से सेब के काश्तकारों के चेहरों में चिंता की लकीरें उभर आई है. मसूरी में जहां पिछले साल दिसंबर से मार्च तक 85 लाख पर्यटक आये थे, वहीं इस बार महज 11 लाख ही पर्यटक पहुंचे.
हिमपात न होने के कारण औली में होने वाले स्नोगेम्स भी रद्द कर दिए गए हैं. स्की एंड स्नोबोर्ड एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड देहरादून के सचिव प्रवीण शर्मा ने बताया कि इस साल बर्फबारी कम होने की वजह से स्कीइंग प्रतियोगिता रद्द कर दी गई है. 23 से 26 फरवरी तक चैंपियनशिप प्रस्तावित थी.
यही हाल नैनीताल और मुनस्यारी जैसे पर्यटक स्थलों का भी है. लेकिन मौसम वैज्ञानिकों को चिंता तब होनी शुरू हुई जब तीन हजार मीटर तक की उंचाई वाले हर्षिल, औली समेत उच्च हिमालयी पर्यटक स्थलों पर भी बेहद कम हिमपात हुआ.
बुधवार 15 फरवरी 2023 को उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र ने यलो अलर्ट जारी कर सूचना दी कि अगले कुछ दिन पहाड़ों में तापमान सामान्य से दस डिग्री ज्यादा रहेगा. तापमान तीस डिग्री तक जा सकता है, जो कि ऑल टाइम रिकाॅर्ड होगा.
उत्तराखंड के वरिष्ठ ग्लेशियर वैज्ञानिक डीपी डोभाल बताते हैं कि ऐसा बहुत कम होता है कि फरवरी में इतना तापमान चले जाये. कई बार जंगलों में आग लगने के कारण ऐसा हो जाता है. लेकिन इस बार तो आग लगने की घटनाएं भी ज्यादा नहीं है.
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह कहते हैं कि इस बार पश्चिमी विक्षोभ का सामान्य दिशा बदलना और उतर दिशा की ओर बढ़ना, कम बर्फबारी का मुख्य कारण है. कम बर्फबारी से जहां एक ओर जल संकट की आशंकाएं बढ़ेंगी. वहीं, आने वाले दिनों में तापमान में भारी इजाफा होने से ग्लेशियर पिघलने में तेजी आएगी.
सिंह बताते हैं कि हर साल नवंबर और दिसंबर के महीने में होने वाली बर्फबारी में बदलाव देखा गया है. लेकिन इस साल यह बदलाव कुछ ज्यादा ही देखा गया. यही वजह है कि बीते साल नवंबर और दिसंबर के महीने में न के बराबर बर्फबारी देखी गई. इसकी एक बड़ी वजह विंटर रेन का कम होना भी है.
उत्तराखंड में मौजूद हिमालयी ग्लेशियर इस बार बेहद कम रिचार्ज हुए हैं. भागीरथी का उदगम जिस गोमुख ग्लेशियर से होता है, वहां औसतन हर साल औसतन 55 फीट तक हिमपात होता था. लेकिन इस बार 15 फीट से भी कम हुआ है.
वहीं अलकनंदा का उदगम अलकापुरी ग्लेशियर में भी कम हिमपात हुआ है. डोभाल बताते हैं कि उत्तराखंड में ही तीन हजार से ज्यादा ग्लेशियर है. इस बार कम हिमपात होने से कम रिचार्ज हुये हैं. जिससे गर्मियों में नदियों के जल स्तर पर भी फर्क पड़ेगा और नदियों के जल स्तर से जल विद्युत परियोजना में भी कम उत्पादन होता है.