उत्तराखंड: धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास में उत्तराखण्ड के लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों के आश्रितों को भी सम्मान पेंशन/निधि दी जायेगी, इसके लिये शासनादेश जारी किया जा चुका है.
लोकतंत्र सेनानियों का मानदेय 16 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रूपये किया गया है. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान उत्तराखण्ड के लोकतंत्र सेनानियों के योगदान की सभी को जानकारी हो सके, इसके लिए व्यवस्था बनाई जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों द्वारा जो भी मांग पत्र दिया है, उन पर पूरी गम्भीरता से कार्य किये जायेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि आज उन्हें राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान भारत के लोकतंत्र की रक्षा करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करने का अवसर मिला है. उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र सेनानियों द्वारा किये गए त्याग और बलिदान को देश कभी नहीं भूल सकता. जब आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध सिर्फ राजनैतिक लोगों तक सीमित नहीं रहा बल्कि उस समय जन-जन के मन में आक्रोश था.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सामान्य जीवन में लोकतंत्र का क्या वजूद है, वह तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है. आपातकाल में देश के सभी लोगों को लगने लगा था कि उनका सब कुछ छीन लिया गया है.
इसके लिए लखनऊ विवि, बीएचयू और इलाहाबाद विवि सहित अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों का संयुक्त संघर्ष मोर्चा बना, जिसे लोकनायक जयप्रकाश नारायण सहित उस समय के बड़े नेताओं नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेई ने अपना समर्थन दिया। उस संघर्ष का ही परिणाम था कि देश में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना हुई.