कांग्रेस (Congress) पार्टी के लिए एक बड़े झटके में उसके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 2019 के आपराधिक मानहानि मामले (criminal defamation case) में दोषी ठहराए जाने के कारण लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. लोकसभा सचिवालय ने भी उनके निर्वाचन क्षेत्र को खाली घोषित कर दिया. चुनाव आयोग अब इस सीट के लिए विशेष चुनाव की घोषणा कर सकता है.
Rahul Gandhi
कांग्रेस ने इसे वायनाड के सांसद (Congress Wayanad MP Rahul Gandhi) को चुप कराने की एक ‘साजिश’ करार दिया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के साथ कथित संबंधों पर सवाल उठाते रहे हैं, जिनके व्यापारिक साम्राज्य स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोपों के बाद जांच के दायरे में आ गए हैं, और एक संयुक्त संसदीय की मांग कर रहे हैं. कमेटी (जेपीसी) मामले की जांच करेगी.
लोकसभा सचिवालय (Lok Sabha Secretariat) ने आज जारी एक अधिसूचना में केरल के वायनाड संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकसभा सदस्य राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य होने की घोषणा की.
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) कहती है कि जैसे ही किसी संसद सदस्य को किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है और कम से कम दो साल की सजा सुनाई जाती है, वह अयोग्यता हो जाता है.
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कांग्रेस ने हिंदी में एक ट्वीट में कहा कि “राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है. वह लगातार आपके और इस देश के लिए सड़कों से लेकर संसद तक लड़ रहे हैं, लोकतंत्र को बचाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हर साजिश के बावजूद वह हर कीमत पर इस लड़ाई को जारी रखेंगे और इस मामले में न्यायोचित कार्रवाई करेंगे. लड़ाई जारी है.”
अब राहुल के सामने है क्या रास्ता?
राहुल गांधी इस वक्त अपने करियर के सबसे बड़े संकट से जूझ रहे हैं. राहुल को तो सबसे पहले नियमित जमानत की अर्जी दाखिल करना होगा. अगर 30 दिन के अंदर उन्हें नियमित जमानत नहीं मिलेगी तो उन्हें सरेंडर करना होगा. राहुल को सबसे पहले सेशन कोर्ट जाना होगा. अगर वहां उन्हें राहत नहीं मिलेगी तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक जाना होगा. जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत 2 साल ये उससे ज्यादा की सजा पर सांसदी या विधायकी चली जाती है.
कैसे बच पाएंगे राहुल?
राहुल के पास अभी फिलहाल एक ही रास्ता है कि ऊपरी अदालत राहुल गांधी की दोषसिद्धी वाली सजा को ही निलंबित कर दे. तो वह लोकसभा के लिए अयोग्य नहीं होंगे. लिली थॉमस और लोक प्रहरी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2013 और 2018 के फैसलों में जनप्रतिनिधित्व कानून में अयोग्यता से बचने का एक ही रास्ता है कि या तो सजा निलंबित कर दी जाए या फिर दोषी करार दिए जाने के फैसले को निलंबित कर दिया जाए.