दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शंघाई सहयोग संगठन के आभासी शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे, जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत एससीओ के बाकी सदस्य देशों के राष्ट्रध्यक्ष भी शामिल हो रहे हैं.
चीन और रूस के साथ साथ पाकिस्तान ने भी पुष्टि कर दी है, कि उनके राष्ट्राध्यक्ष एससीओ शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे। इस शिखर सम्मेलन के दोपहर 12.30 बजे शुरू होने और लगभग 3 बजे समाप्त होने की उम्मीद है. पहले एससीओ शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में व्यक्तिगत रूप से होने वाला था, लेकिन जून की शुरुआत में योजना बदल दी गई और वर्चुअल शिखर सम्मेलन ही कराने का फैसला लिया गया.
भारत के नजरिए से, एससीओ के मंच के जरिए, भारत पश्चिम और पूर्व के देशों के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना है. भारत इसी साल सितंबर में जी20 देशों की भी मेजबानी कर रहा है. लिहाजा, उससे पहले एससीओ शिखर सम्मेलन का महत्व भारत के लिए काफी ज्यादा बढ़ जाता है. पर्यवेक्षकों का कहना है, कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अपने हितों को सुरक्षित करने की कोशिश करेगी.
सीमा पार आतंकवाद से लड़ने की आवश्यकता पर जोर देगा, जिसमें पाकिस्तान पर कटाक्ष होगा। भारत इस मंच के जरिए पाकिस्तान पर प्रेशर बनाने की कोशिश करेगा, कि वो सीमा पार आतंकवाद पर लगाम लगाए. इसके अलावा, भारत क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी जोर दे सकता है, जिसमें भारत का इशारा चीन की तरफ होगा, जिसके साथ लगातार सीमा विवाद चल रहा है. भारत और चीन के बीच पिछले तीन साल से तीव्र गतिरोध चल रहा है, जिसमें पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में विवादित सीमा पर हजारों सैनिक तैनात हैं.