दिल्ली की एक अदालत ने नया पासपोर्ट जारी करने की कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका मंजूर कर ली. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने निर्देश दिया कि पासपोर्ट के संबंध में अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) तीन साल के लिए वैध होगा.
गांधी ने दस साल के लिए पासपोर्ट मांगा था. गांधी ने संसद सदस्य (सांसद) के रूप में अपनी अयोग्यता के कारण अपने राजनयिक पासपोर्ट को सरेंडर करने के बाद नए पासपोर्ट के लिए एनओसी की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया. 23 मार्च को अपनी टिप्पणी “सभी चोरों के पास मोदी उपनाम है” के लिए आपराधिक मानहानि का दोषी पाए जाने के बाद सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, जिसे उन्होंने 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में बनाया था.
गांधी ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीरव मोदी और ललित मोदी जैसे भगोड़ों से जोड़ा था. पूर्णेश मोदी, पूर्व भाजपा विधायक (विधायक) ने उक्त भाषण पर आपत्ति जताते हुए दावा किया कि गांधी ने मोदी उपनाम वाले लोगों को अपमानित और बदनाम किया.
सूरत में मजिस्ट्रेट अदालत ने मोदी के इस तर्क को स्वीकार किया कि गांधी ने अपने भाषण से जानबूझकर ‘मोदी’ उपनाम वाले लोगों का अपमान किया है. एक सत्र न्यायाधीश ने मजिस्ट्रेट अदालत की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. उसी के खिलाफ अपील उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है जो जून में अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार है.