उत्तराखंड: पहाड़ों में शिक्षा हासिल करने में बच्चों को कई प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. पहले तो संसाधनों की कमी और दूसरा कई बार ऐसी परिस्थितियां आ जाती हैं, जिससे कि छात्र स्कूल भी पढ़ाई के लिए नहीं पहुंच पाते.
इसके अलावा शहरों में लाइब्रेरी के जरिए छात्रों को पढ़ाई करने में काफी मदद मिल जाती है, पहाड़ों में इस तरह की सुविधाएं मिलना सपना जैसा ही है. लेकिन नैनीताल जिले के युवाओं ने एक ऐसी अनोखी पहल की है जिससे पहाड़ों में भी दूरस्थ क्षेत्रों में आसानी से किताबें उपलब्ध हो रही है.
यहां पर कुछ युवाओं ने घोड़े की पीठ पर चलती-फिरती लाइब्रेरी यानी घोड़ा लाइब्रेरी शुरू की है. जो कि गांवों में पहुंचकर बच्चों को किताबी ज्ञान पूरा करवाने में मदद कर रही है.
ये लाइब्रेरी ऐसे समय में बच्चों के बहुत काम आ रही है जब पहाड़ों में बारिश से रास्ते बंद हो जाते हैं. घोड़ा लाइब्रेरी में सामान्य ज्ञान, प्रेरक कहानियां और नैतिक शिक्षा संबंधी पुस्तकें दी जा रही हैं.
युवाओं का कहना है कि सरकार की ओर से पाठ्यक्रम की पुस्तकें स्कूलों में मिल जाती हैं. उनका प्रयास बच्चों को साहित्य व नैतिक शिक्षा से जोड़ना है. नैनीताल जिले के कोटाबाग के आंवलाकोट निवासी शुभम बधानी ने बताया कि 10 जून को बारिश ने दूरस्थ गांवों में आपदा ने काफी नुकसान पहुंचाया.
शुभम ने युवाओं के साथ मिलकर बच्चों को साहित्य और नैतिक शिक्षा से जोड़ने की मुहिम शुरू की. बाघिनी गांव से घोड़ा लाइब्रेरी शुरू करने का निर्णय लिया. इस गांव के लोगों की मदद से एक घोड़ा मिला। घोड़े की पीठ पर पुस्तकें लेकर वह टीम के साथ गांव में निकले और बच्चों को पुस्तकें दीं.