उत्तराखंड

टीले पर स्थित है मां पार्वती का ऐतिहासिक मंदिर, 13 सालों से खतरे के साये में

उत्तराखंड: नैनीताल जिले के रामनगर तहसील मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर सुंदरखाल गांव में मां गर्जिया का पावन धाम स्थित है. ये मंदिर माता पार्वती को​समर्पित है. लेकिन 13 सालों से मंदिर खतरे के साये में है. जिसको सुधारने के लिए एक बार फिर कवायद हो रही है. इस बार सिंचाई विभाग ने सुरक्षा के लिए करीब 9 करोड़ की डीपीआर तैयार की है.

मां गर्जिया मंदिर मान्यता है कि यहां पांड़वों ने कठिन तप किया था. मां गर्जिया का मंदिर हरे-भरे जंगलों में बहती कोसी नदी के बीच में एक छोटे से टीले पर स्थित है. इसे चमत्कारी सिद्धपीठ भी कहा जाता है. भक्तों को माता के दरबार में पहुंचने के लिए 90 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. हर रोज यहां पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालु गर्जिया माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. माता के मंदिर में भक्त चुनरी बांधकर मनोकामना मांगते हैं. मन्नत पूरी होते ही भक्त चुनरी खोलकर अपने घर ले जाया करते हैं.

देश विदेश से यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन जिस तरह से मंदिर का अस्तिव खतरे में है. उससे श्रद्धालु भी जल्द से जल्द इस पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं. इस मंदिर पर खतरे की शुरुआत 2010 में आई बाढ़ से हुई थी. उस दौरान पानी ने मंदिर के टीले में कई जगहों पर दरारें पैदा कर दी थीं. भूगर्भ विशेषज्ञों की टीम सर्वे को पहुंची थी. इन 13 साल में कई प्रस्ताव बने, लेकिन स्थायी मरम्मत की तरफ नहीं बढ़ सके। हालांंकि कुछ लोगों का मानना है कि जो पुल इस मंदिर तक पहुंचने के लिए बनाया उससे भी टीले पर दरारें आई थी.

पिछले साल बरसात में सिंचाई विभाग ने नदी के पानी से मंदिर को बचाने के लिए विशेष तिरपाल की मदद से पूरे टीले को कवर कर दिया था.

  • 13 साल में क्या-क्या हुआ?
  • 2010 बाढ़ की वजह से मंदिर के टीले में कुछ जगहों पर दरार आई।
  • 2012 तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा ने सुरक्षा को लेकर घोषणा की।
  • इसके बाद सिंचाई ने पर्यटन विभाग को 5.50 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा।
  • पर्यटन विभाग ने संस्कृति विभाग को भेजने की बात कह प्रस्ताव लौटा दिया।
  • बाढ़ से सुरक्षा कार्य की लागत बढ़कर पौने सात करोड़ पहुंच गई।
  • संस्कृति विभाग ने प्रस्ताव को आपदा प्रबंधन विभाग को भेजने के लिए कह दिया।
  • 2021 मार्च में आइआइटी की टीम ने स्थिति देखी, बरसात में तिरपाल से सुरक्षा की।
  • 3.30 लाख सर्वे कंपनी पर खर्च हुए.

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