उत्तराखंड

केदारनाथ में बड़ी स्क्रीन पर 7 भाषाओं में प्रसारित होगा मंदिरों का लिटरेचर, बदरी केदार मंदिर समिति ने लिया फैसला

उत्तराखंड: चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने की तिथि तय हो चुकी है. वहीं, अब शासन-प्रशासन अपनी तैयारी में जुट गया है. इसी के तहत केदारनाथ में बड़ी स्क्रीन पर 7 भाषाओं में मंदिरों का लिटरेचर प्रसारित होगा. उत्तराखंड के चारधामों में सबसे पहले यमुनोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को खुलने जा रहे हैं. उसके बाद केदारनाथ धाम के 2 मई, बदरीनाथ धाम के 4 मई और गंगोत्री धाम के कपाट 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के मौके पर खुल जाएंगे. इसके बाद उत्तराखंड चारधाम ग्रीष्मकालीन यात्रा की शुरुआत हो जाएगी.

बदरी केदार मंदिर समिति के सीईओ विजय थपलियाल ने बताया कि इस बार बदरी केदार मंदिर समिति के तहत आने वाले मंदिरों के पौराणिक महत्व का लिटरेचर धामों में बड़ी-बड़ी स्क्रीन पर प्रसारित करेंगे. इसको लेकर उन्होंने पूरी तैयारी कर ली है और 7 अलग-अलग भाषाओं में मंदिरों का लिटरेचर तैयार किया गया है. जिसमें हिंदी, इंग्लिश, संस्कृत, गुजराती, मराठी, कन्नड़ और साउथ की कई भाषाएं मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा मकसद यही है कि उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर अलग-अलग प्रदेशों से अलग-अलग भाषाओं की जानकारी रखने वाले लोग जब आए तो उन्हें उनकी भाषा में यहां की जानकारी मिले और उत्तराखंड के मंदिरों के पौराणिक महत्व की जानकारी वो पा सकें.

बदरी केदार मंदिर समिति के सीईओ विजय थपलियाल ने बताया कि 7 दिसंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर से शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की थी और तब से लेकर अब तक यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है. आंकड़ों की बात करें तो बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के शीतकालीन गद्दी स्थलों पर तकरीबन 40 हजार लोगों ने शीतकालीन यात्रा की है. शीतकालीन यात्रा में यात्रियों ने उखीमठ, ओंकारेश्वर, गुप्तकाशी, पांडुकेश्वर और ज्योर्तिमठ में भगवान के दर्शन किए.

शीतकालीन यात्रा के दौरान रूटिंग यात्रा की तुलना में 30 से 35 लाख केवल बदरीनाथ और केदारनाथ में यात्री आते हैं, उसकी तुलना में शीतकालीन यात्रा में केवल 40 हजार यात्री विंटर यात्रा में पहुंचे हैं. इस दौरान यात्रियों को दर्शन और पूजा अर्चना और विशेष अभिषेक का भी पर्याप्त समय मिलता है, जोकि रूटीन यात्रा के दौरान मिलना संभव नहीं होता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इससे केवल तीर्थंकर नहीं बढ़ रहा है, बल्कि प्रदेश की इकोनॉमी भी बढ़ रही है.

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