दिल्ली: देश में अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को नई दिल्ली में भारत मंडपम में एक लाख करोड़ रुपये की अनुसंधान विकास एवं नवाचार (आरडीआई) योजना निधि का शुभारंभ किया.
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘यह आयोजन विज्ञान से जुड़ा है, लेकिन सबसे पहले मैं क्रिकेट में भारत की शानदार जीत के बारे में बात करूँगा. पूरा भारत अपनी क्रिकेट टीम की सफलता से बेहद खुश है. यह भारत का पहला महिला विश्व कप है. मैं हमारी महिला क्रिकेट टीम को बधाई देता हूँ. हमें आप पर गर्व है. आपकी सफलता देश भर के लाखों युवाओं को प्रेरित करेगी.
#WATCH | Delhi: At the Emerging Science, Technology and Innovation Conclave (ESTIC) 2025, PM Narendra Modi says, "India is no longer a consumer of technology, but a pioneer in technology-driven transformation. During COVID, we developed an indigenous vaccine in record time. We… pic.twitter.com/TF37rUBUtq
— ANI (@ANI) November 3, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हमने अनुसंधान विकास नवाचार योजना भी शुरू की है. इसके लिए 1 लाख करोड़ रुपये की राशि तय की गई है. आपको लग रहा होगा कि 1 लाख करोड़ रुपये मोदी के पास ही रहने वाले हैं, इसलिए आप ताली नहीं बजा रहे हैं. यह 1 लाख करोड़ रुपये आपके लिए हैं. यह आपकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए है. यह आपके लिए नए अवसर खोलने के लिए है. हमारा प्रयास निजी क्षेत्र में भी अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना है. पहली बार, उच्च जोखिम और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं के लिए भी पूंजी उपलब्ध कराई जा रही है.’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कल भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया में भी परचम लहराया. कल ही भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत के सबसे भारी संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया. मैं इसरो सहित इस मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई देता हूँ.’
‘आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी की दुनिया के लिए भी एक बड़ा दिन है. इक्कीसवीं सदी में दुनिया भर के विशेषज्ञों के एक साथ आकर उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर विचार-मंथन करने और मिलकर दिशा दिखाने की बहुत आवश्यकता थी. इसी आवश्यकता ने एक विचार को जन्म दिया. और इसी विचार से इस सम्मेलन की परिकल्पना का निर्माण हुआ.
भारत को नवाचार केंद्र में बदलने के लिए पिछले कुछ वर्षों में बनाई गई नीतियों और निर्णयों का प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. मैं बड़े संतोष के साथ कुछ आंकड़े प्रस्तुत करना चाहता हूं. पिछले दशक में हमारा अनुसंधान एवं विकास व्यय दोगुना हो गया है. भारत में पंजीकृत पेटेंटों की संख्या 17 गुना बढ़ गई है. भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. आज, हमारे 6,000 से अधिक डीपटेक स्टार्टअप स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत सामग्री जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.
उभरते विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार कॉन्क्लेव (ईएसटीआईसी) 2025 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘भारत अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं है, बल्कि तकनीक-संचालित परिवर्तन में अग्रणी है. कोविड के दौरान हमने रिकॉर्ड समय में एक स्वदेशी टीका विकसित किया. हमने दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया. यह इसलिए संभव हुआ क्योंकि आज हमारे पास दुनिया का पहला और सबसे सफल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा है.’
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘पेटेंट दाखिलों में इस क्षेत्र में महिलाओं की संख्या एक दशक पहले सालाना 100 से भी कम थी. अब यह सालाना 5,000 से अधिक हो गई है. STEM शिक्षा में महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 43 फीसदी है, जो वैश्विक औसत से अधिक है. मैं एक विकसित देश के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री के साथ लिफ्ट में था. उन्होंने मुझसे पूछा, ‘क्या भारत में लड़कियां विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अध्ययन करती हैं?’ जब मैंने उन्हें इन आंकड़ों के बारे में बताया तो वे हैरान रह गए. भारत की बेटियों ने यही हासिल किया है. ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में महिलाएं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कितनी तेजी से प्रगति कर रही हैं.’
आरडीआई योजना निधि का उद्देश्य देश में निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है. 3 से 5 नवंबर तक आयोजित होने वाले ‘ईएसटीआईसी 2025’ सम्मेलन में शिक्षा जगत, अनुसंधान संस्थानों, उद्योग और सरकार के 3,000 से अधिक प्रतिभागियों के साथ-साथ नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रख्यात वैज्ञानिक, नवप्रवर्तक और नीति निर्माता शामिल होंगे.
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक बयान के अनुसार विचार-विमर्श 11 प्रमुख विषयगत क्षेत्रों पर केंद्रित होगा. इनमें उन्नत सामग्री और विनिर्माण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव-विनिर्माण, नीली अर्थव्यवस्था, डिजिटल संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और अर्धचालक विनिर्माण, उभरती कृषि प्रौद्योगिकियां, ऊर्जा, पर्यावरण और जलवायु, स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रौद्योगिकियां, क्वांटम विज्ञान और प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां शामिल हैं.
बयान में आगे कहा गया, ‘ईएसटीआईसी 2025 में अग्रणी वैज्ञानिकों के व्याख्यान, पैनल चर्चाएँ, प्रस्तुतियाँ और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन होंगे जो भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए शोधकर्ताओं, उद्योग और युवा नवप्रवर्तकों के बीच सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करेंगे.’
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार ‘ईएसटीआईसी 2025’ युवा नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप्स और शोधकर्ताओं के लिए नवीन समाधान प्रदर्शित करने, मार्गदर्शन प्राप्त करने और उद्योग एवं हितधारकों से जुड़ने का एक मंच है. ‘ईएसटीआईसी 2025’ को एक परिणाम-उन्मुख मंच के रूप में डिजाइन किया गया है जो शोधकर्ताओं, उद्यमियों, उद्योग और वित्त पोषण निकायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देते हुए हितधारकों के योगदान का जश्न मनाता है.

