उत्तर प्रदेश

चार दशक पूर्व गाजियाबाद जनपद में ब्राह्मण समाज को जोड़ने की पहल की थी प्राण नाथ शर्मा ने

सुशील कुमार शर्मा

गाजियाबाद: स्थानीय मौहल्ला नसरत पुरा ( निकट गोपी नाथ मंदिर) निवासी प्राण नाथ शर्मा लगभग 90 वर्ष के हो गये हैं. वह पहले गाजियाबाद के बेसिक शिक्षा विभाग में और फिर जिला विद्यालय निरीक्षक विभाग में सेवारत रहे. वहीं से वह लगभग 30 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए. वृद्धावस्था की बीमारियों के कारण अब वह कहीं आने-जाने में असमर्थ हैं. लेकिन इस महानगर के पुराने निवासी उनके संघर्ष और कर्मठता को नहीं भूले हैं. चार दशक पूर्व गाजियाबाद जनपद में ब्राह्मण समाज को जोड़ने की मुहिम की शुरुआत उन्होंने ही की थी. उनका जन्म 1-6-1937 को मुल्तान (पाकिस्तान) में हुआ था. उनका परिवार 1945 में विभाजन से पहले ही भारत आ गया था. पिता की सर्विस रेलवे में लग गयी थी। जब उनका ट्रांसफर दिल्ली हुआ तो निवास गाजियाबाद बना.

वह बताते हैं तब वह लगभग 7 वर्ष के थे. स्थानीय शम्भू दयाल कालेज में कक्षा तीन में दाखिला लिया. उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पत्रकार रहे विधान चन्द्र गर्ग तब उनके सहपाठी थे. 1962 में उन्होंने “पूनम” नाम से साहित्यिक पत्रिका भी निकाली थी. जिसका प्रकाशन कई वर्ष तक किया. उस समय उन्होंने अपने मित्रों के साथ “राज्य, केन्द्रीय, सार्वजनिक, विद्युत, शिक्षा संयुक्त परिषद” का गठन कर सभी सरकारी विभागों में स्थानीय नागरिकों के लिए संघर्ष किया. वह उस संस्था के संस्थापक और महामंत्री थे. नवयुग मार्केट में इसका आफिस बनाया गया था. यह संस्था 1990 से 1995 तक सक्रिय रही. दिल्ली गेट निवासी रेलवे एम्पलाइज यूनियन के नेता रमेश चन्द्र गुप्ता इस संस्था के अध्यक्ष और वह आर्गेनाइजिंग सेकेट्री रहे.

वह बताते हैं कि जब वह शिक्षा विभाग में बाबू थे तो जिन लोगों के काम किए वह उन्हें मिठाई (रिश्वत) देने के लिए उत्सुक रहते थे. जिस पर वह उनसे कहते थे कि मैं आपके घर/गांव आऊंगा आप अपने ब्राह्मण मित्रों को मुझसे मिलाओ तथा मुझे जो देना चाहते हो वह उसे दो जिसे जरूरत है. इस तरह से कई गरीब ब्राह्मण परिवारों की बालिकाओं की शादी में मदद से समाज सेवा की शुरुआत की.

वह बताते हैं 1985-86 में अपने ही दफ्तर के बाबू मथुरा प्रसाद दीक्षित और मोरटा के स्कूल में एक क्लर्क को साथ लेकर गाजियाबाद जनपद में ब्राह्मण सभा की स्थापना की. मुरादनगर के मास्टर रत्नेश का प्रमोशन कराया था तो उनसे मिठाई के बदले विजय नगर में एक विधवा की बेटी की शादी में मदद कराई. अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष तब मांगे राम शर्मा थे. वह जिलाध्यक्ष और जीडीए में कार्यरत देवेन्द्र दत्त शर्मा महानगर अध्यक्ष बने. उनके कार्यकाल में दस मंदिरों में भगवान परशुराम की मूर्ति की स्थापना की गई. जिसमें दूधेश्वरनाथ मंदिर, रामघाट मंदिर डासना गेट, हनुमान मंदिर घंटाघर, सैक्टर-14 राजनगर व कई गांवों में स्थापित की गयी.

देवेन्द्र दत्त शर्मा ने सर्व प्रथम ब्राह्मण युवक -युवतियों के सामूहिक विवाह की शुरुआत अग्रसेन भवन से की थी. उसके बाद उमेश शर्मा ने मीना मल की धर्मशाला में आयोजन किया. जब भाजपा सत्ता में आई तो मागे राम शर्मा ने अपने स्थान पर आर एस एस के महेश चंद्र शर्मा (खुर्जा) को अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा का अध्यक्ष बनवा दिया. जब आर्थिक रूप से सम्पन्न बिरादरी के लोगों में बर्चस्व को लेकर उखाड पछाड होने लगी तो वह शांत बैठ गये. आज अनेक ब्राह्मण महासभा सक्रिय हैं जिनमें जिला और महानगर के अलावा सैक्टर 23, विजय नगर, गोविंद पुरम, वसुन्धरा, पंचवटी आदि में सक्रिय हैं.

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