महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ‘महाविकास अघाड़ी’ को जोरदार झटका दिया है. दरअसल, शिंदे सरकार ने उद्धव ठाकरे की सरकार के फैसले को पलटकर, सहकारी समितियों में केवल सक्रिय सदस्यों को मतदान करने का अधिकार दे दिया है.
इस फैसले से शिंदे-फडणवीस सरकार ने शरद पवार सहित कांग्रेस और शिवसेना को भी चुनाव पूर्व बड़ा झटका दिया है. सरकार के इस फैसले का असर महाराष्ट्र की राजनीति में कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शरद पवार ने खुद सीएम से इस मामले पर देर रात मुलाकात की है.
सरकार के इस फैसले से अब महाराष्ट्र की राजनीति में नया ट्विस्ट आ गया है, क्योंकि सरकार ने सहकारिता विभाग के नियमों में ही फेरबदल कर दिया है. शिंदे-फडणवीस सरकार चाहती है कि सहकारी चीनी कारखानों, डेयरियों और कृषि ऋण समितियों में अब वही सदस्य वोट करें जो पिछले पांच सालों में सक्रिय रहे हों. ऐसे में मार्केट कमिटी में बने हुए निष्क्रिय सदस्य का वोट करने का अधिकार छिन गया है.
हालांकि, को-ऑपरेटिव एक्ट 1960 में किए बदलाव में हाउसिंग सोसाइटी, कमर्शियल प्रिमाइसेस को दूर रखा गया है. दरअसल, जानकार मानते हैं कि कई सहकारिता संस्थाओं में वोटरों के नाम चुनावी फायदा उठाने के लिए रखे जाते थे, जिनका सहकारिता क्षेत्र से रोजाना कोई संबंध नहीं होता था. सहकारिता क्षेत्र पर शरद पवार की मजबूत पकड़ है. महाराष्ट्र में शरद पवार की पकड़ को कमजोर करने के लिए चला गया यह दांव एनसीपी तो बड़ा झटका दे सकता है.