महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को शिवेसना के 16 विधायकों की अयोग्यता के मामले में फैसला सुनाते हुए उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने इस मामले को सात जजों की बेंच के पास भेज दिया है. उद्धव ठाकरे ने इस निर्णय के बाद एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफा देने की मांग की. जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने ठाकरे की इस मांग को खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार को बहाल नहीं कर सकते क्योंकि ठाकरे ने पिछले साल जून में फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था. चूंकि ठाकरे ने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था, इसलिए राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल बीजेपी के कहने पर सरकार बनाने के लिए शिंदे को आमंत्रित करके सही किया.
कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य करार देने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार से जुड़े पांच जजों की संविधान पीठ के 2016 के नबाम रेबिया फैसले को सात जजों की बड़ी पीठ को भेज दिया और कहा कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए.
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कोर्ट के फैसले के बाद कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और और चुनाव का सामना करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरा इस्तीफा कानूनी रूप से गलत हो सकता था, लेकिन मैंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया था. मैं पीठ में छुरा घोंपने वालों के साथ कैसे सरकार चला सकता था.