दिल्ली विधानसभा का सोमवार को एक दिवसीय विशेष सत्र (Delhi Assembly Session) बुलाया गया है. इस सत्र का जो एजेंडा सामने आया है, उसमें दिनभर नियम 55 के तहत अल्पकालीन चर्चा की जाएगी. चर्चा के विषय को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि दिल्ली में एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई है,
जहां दिल्ली सरकार को अस्थिर करने और तुच्छ आधार पर मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने के लिए केंद्र सरकार सीबीआई और ईडी जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है. इस बीच विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाए जाने को लेकर एलजी और सरकार के बीच फिर से खींचतान शुरू हो गई है.
एलजी ऑफिस की तरफ से रविवार को कहा गया कि एलजी वीके सक्सेना ने सत्र बुलाने के प्रस्ताव को मंजूरी तो दे दी है, लेकिन सत्र बुलाने में दिल्ली सरकार की ओर से हुई कुछ गंभीर प्रक्रियात्मक चूक की तरफ भी उन्होंने इशारा किया है. एलजी ने अपने नोट में लिखा है कि स्पीकर ने विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे भाग के तहत सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा है.
जबकि मंत्रिमंडल ने विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश की है. रूल्स और एक्ट के अनुसार 29 मार्च को बजट सत्र की कार्रवाई पूरी होने के बाद सत्र को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. ऐसे में नया सत्र बुलाने से पहले सत्रावसान (सदन के सत्र को समाप्त करना) किया जाना चाहिए था.
एलजी ने नोट में स्पष्ट रूप से कहा है कि दिल्ली की कैबिनेट और विधानसभा मौजूदा कानूनों के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं, इसीलिए उनके द्वारा यह बात मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाई जा रही है. एलजी ने बिना किसी पूर्व निर्धारित विधायी कार्य के विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कैबिनेट की सिफारिश को लेकर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि सत्र बुलाने की यह सिफारिश उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना की गई है.