दिल्‍ली-एनसीआर

डी.ए.वी.व.मा. विद्यालय क्रमांक १, गांधी नगर में धूमधाम से मनाया गया, गुरु पर्व उत्सव, सरदार पटेल जयंती एवं हरियाणा दिवस महोत्सव

दिल्ली: हिंदू शिक्षा समिति द्वारा संचालित विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से संबद्ध, डी.ए.वी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 गांधीनगर दिल्ली -31, में दिनांक 3.11.2025 सोमवार को गुरु पर्व उत्सव, सरदार वल्लभ भाई पटेल जयंती एवं हरियाणा दिवस एवं आ.हर्ष जी प्रथम पुण्यतिथि का कार्यक्रम विद्यालय प्रांगण में आयोजित किया गया.

आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अरविंद सिंह लवली, यमुना पार विकास बोर्ड के अध्यक्ष विधायक, गांधीनगर दिल्ली रहें. मुख्य वक्ता सतीश शर्मा (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत बौद्धिक प्रमुख) एवं अन्य वक्ता के रूप में गणित प्रवक्ता सुनील जैन, राकेश सहरावत रहे. विद्यालय अध्यक्ष श्री नरेश शर्मा, विद्यालय प्रबंधक गिरीजेश रस्तोगी, विद्यालय प्रमुख श्री दिनेश चंद शर्मा उपस्थित रहे. श्रीमती तनुजा कसाना एवं बलविंदर कौर द्वारा सर्वप्रथम दीप प्रज्जवलन से कार्यक्रम का शुभारंभ कराया गया. कार्यक्रम का मंच संचालन श्रीमती प्रियंका अग्रवाल श्रीमती रेणु जोशी और श्रीमान आशुतोष द्वारा किया गया. विद्यालय सभागार को श्रीमती वसु वर्मा व नेहा गुप्ता ने सुशोभित किया. श्रीमान सुनील जैन द्वारा अपने उद्बोधन में वल्लभभाई पटेल जी के जीवन के विषय में बताया गया. उन्होंने बताया की लोह पुरुष वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में झवेरभाई पटेल और लाडबाई के घर हुआ.

शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय स्कूलों में प्राप्त की और बाद में इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई की। 1913 में एक सफल बैरिस्टर के रूप में भारत लौटे. अहमदाबाद नगर निगम में स्वच्छता आयुक्त के रूप में अपने सरकारी जीवन की शुरुआत की और बाद में गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने.सरदार वल्लभभाई पटेल एक वकील और राजनीतिज्ञ थे. जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी. 1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद, उन्होंने इसके पहले उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें नवस्वतंत्र राष्ट्र के विविध और अक्सर झगड़ालू राज्यों को एकजुट करने का श्रेय भी दिया जाता है.

सरदार साहब ने रियासतों का एकीकरण कर देश की एकता और सुरक्षा को सुदृढ़ बनाया और किसानों, पिछड़ों और वंचितों को सहकारिता से जोड़कर देश को स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया. उन्होंने आगे कहा उनका दृढ़ विश्वास था कि देश के विकास की धुरी किसानों की समृद्धि में निहित है. तत्पश्चात श्रीमती उर्वशी तोमर (प्रवक्ता समाजशास्त्र) ने अपनी मधुर आवाज में “सतगुरु मैं तेरी पतंग ……”गीत गाकर सभागार को मन्त्रमुग्ध कर दिया.

इसके पश्चात श्रीमान राकेश सहरावत ने हरियाणा दिवस पर अपने उद्बोधन में बताया कि किस प्रकार पंजाब से अलग होकर हरियाणा ने अपनी एक पहचान बनाई. उन्होंने बताया “दूध दही का खाना वही हरियाणा” हरियाणा की पहचान एक ऐसे राज्य के रूप में है जो अपनी महान ऐतिहासिक विरासत (गीता की भूमि, महाभारत युद्ध और पानीपत की तीन लड़ाइयों) और आधुनिक विकास (कृषि और अर्थव्यवस्था में अग्रणी) का मिश्रण है. इसकी पहचान सांस्कृतिक रूप से लोक नृत्य, लोकगीत और पारंपरिक खान-पान से भी जुड़ी है. राज्य के लोग मेहनती, साहसी और मजबूत हैं, जिन्हें ‘खेत में किसान, सीमा पर जवान’ जैसे नारों से जाना जाता है. हरियाणा को ‘गीता की हरियाणा दूध और खाद्यान्न उत्पादन में अग्रणी है.भूमि’ और महाभारत के युद्धक्षेत्र (कुरुक्षेत्र) के रूप में जाना जाता है. पानीपत की तीन लड़ाइयां भी यहीं लड़ी गईं, जिन्होंने भारत के इतिहास को आकार दिया.यह भारत के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक है. गुड़गांव जैसे शहर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) और ऑटोमोबाइल हब के रूप में उभरे हरियाणा के कुरुक्षेत्र में स्थित एक पवित्र तीर्थ स्थल है, जिसे “गीता का जन्मस्थान” भी कहा जाता है.

हरियाणा कृषि (विशेषकर गेहूं और चावल), हथकरघा उत्पादों (पानीपत के कालीन), और महाभारत व प्राचीन इतिहास के लिए प्रसिद्ध है. यह ‘हरित क्रांति’ में अपने योगदान और धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. विद्यालय के मुख्य अतिथि अरविंद सिंह लवली द्वारा छात्रों को उद्बोधन दिया गया. उन्होने गुरु नानक देव के बचपन के विषय में चर्चा की तथा छात्रों को बतायागुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित एक कहानी है, जो चमकौर साहिब के युद्ध से जुड़ी है, जिसमें वे अपनी सेना के साथ एक कच्ची हवेली में घिर गए थे. 10 लाख की मुगल सेना ने घेराबंदी कर ली, लेकिन गुरुजी ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया. उन्होंने अपने साथियों को मुगल सेना का सामना करने के लिए भेजा और बाद में स्वयं भी उनका मुकाबला किया. जब मुगल सेना मशालों के साथ घेराबंदी कर रही थी, तो गुरुजी ने ललकारते हुए मशालों को बुझा दिया, जिससे अंधेरा छा गया और सैनिक आपस में ही लड़ने लगे, और इस तरह वे निकल गए.

इस घटना को गुरुजी के “खरा सौदा” (सच्चा सौदा) के रूप में जाना जाता है, जिसमें उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया. उन्होंने बताया की गुरु गोविंद सिंह का जन्म 1666 में पटना में हुआ. वे नौवें सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर और माता गुजरी के इकलौते बेटे थे, जिनका बचपन का नाम गोबिंद राय था. सन् 1699 ई0 में बैसाखी के दिन गुरु गोबिंद सिंह नेगुरु गोबिंद सिंह जी ने एक बार अपने अनुयायियों को निस्वार्थ सेवा का वास्तविक अर्थ समझाने के लिए, एक साधारण यात्री का भेष धारण किया. वे हर घर के दरवाज़े पर दस्तक देते और पूछते, “क्या आपके पास खाने के लिए कुछ है?” यह देखने के लिए कि कौन बिना किसी शर्त के सेवा करने के लिए तैयार है. इस घटना ने उन्हें और हमें यह सिखाया कि असली सेवा में अहंकार नहीं होता और यह हमेशा खुश होकर की जाती है. खालसा पंथ की स्थापना कर पांच व्यक्तियों को अमृत चखा का ‘पांच प्यारे’ बना दिए। इन पांच प्यारों में सभी वर्गो के व्यक्ति थे.लंगर सेवा और समानता के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें कोई भी व्यक्ति ऊँच-नीच के भेद के बिना एक ही छत के नीचे भोजन करता है.

असली लंगर में निस्वार्थ भाव से सेवा की जाती है, न कि किसी लालच या दिखावे के लिए, सेवा और समानता के कार्य के माध्यम से आप ईश्वर से जुड़ सकते हैं. और दूसरों के जीवन में खुशी ला सकते हैं. उन्होंने सरदार पटेल के बारे में बताते हुए कहा कि वह देश की अर्थव्यवस्था को बनाने वाली बुनियाद थे. विधायक द्वारा विट्ठल भाई पटेल का भी जिक्र अपने वक्तव्य में किया. तथा गुरु पर्व तथा सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती जिसे हम राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाते हैं की शुभकामनाएं सभी को दी. इसके बाद सतीश शर्मा द्वारा पटेल जी की वसीयत के बारे में बताया गया.

भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। पटेल का जन्म नाडियाड शहर (वर्तमान खेड़ा जिला , गुजरात ) में हुआ था. और उनका पालन-पोषण गुजरात राज्य के ग्रामीण इलाकों में हुआ था. वह एक सफल वकील थे.सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 150वीं जयंती को पूरा देश हर्षोल्लास से मना रहा है.1947 में देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद, उन्होंने इसके पहले उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्हें नव स्वतंत्र राष्ट्र के विविध और अक्सर झगड़ालू राज्यों को एकजुट करने का श्रेय भी दिया जाता है.पटेल ने 1948 में लखनऊ में कहा था कि आरएसएस के नेता देशभक्त हैं. और कांग्रेस को उन्हें प्यार से जीतना चाहिए पटेल जी का मानना था किआरएसएस को कुचला नहीं जाना चाहिए, बल्कि उन्हें देशभक्तों के रूप में देखना चाहिए और उन्हें राष्ट्र सेवा के लिए जोड़ना चाहिए.

उन्होंने आरएसएस की क्षमता को पहचाना कि वे भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने में सकारात्मक योगदान दे सके श्री मां सतीश जी ने गुरु नानक देव के विषय में बताते हुए कहा कि 30 साल की उम्र में, गुरु नानक ने आध्यात्मिक यात्रा शुरू की. उन्होंने भारत, तिब्बत और अरब के विभिन्न हिस्सों में यात्रा की, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षाएँ दीं. और कई विद्वानों से वाद-विवाद कियाउन्होंने जाति, लिंग या सामाजिक स्थिति के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव का विरोध किया. और सभी को समान माना.

कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय के अध्यक्ष महोदय नरेश शर्मा ने सभी को गुरु पर्व की शुभकामनाएं दी तथा सरदार वल्लभभाई पटेल के जयंती तथा राष्ट्रीय एकता दिवस एवं हरियाणा दिवस की शुभकामनाएं प्रस्तुत की. उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में बताते हुए कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल हमारे देश के लिए मिल का पत्थर साबित हुए,उनको लोह पुरुष की उपाधि सही मायने में दी गई है. वे एक लोह पुरुष के समान देश की राजनीति में दृढ़ता से लग रहे उन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी के विषय में बताते हुए कहा की उनकी शिक्षाएँ सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में दर्ज हैं. उन्हें एक दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, समाजसुधारक और कवि के रूप में याद किया जाता है. इसके बाद अध्यक्ष महोदय ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा राष्ट्रीय गान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *