उत्तर प्रदेश: प्रदेश में अब अपराधी और माफिया प्रवृति के लोग शैक्षणिक संस्थानों का संचालन नहीं कर सकेंगे. शैक्षणिक संस्थाओं की प्रबंध समिति में जो अभी हैं उन्हें संस्थाओं से बाहर किया कर दिया जाएगा.
अब इन शैक्षणिक संस्थाओं से जुड़ी समितियों में साफ़ छवि के व्यक्ति ही रह पायेंगे. अब इन शैक्षणिक संस्थाओं की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों व सदस्यों को एक शपथ पत्र देना होगा कि उन्हें अदालत द्वारा ऐसे किसी मामलों में कभी कोई सजा नहीं दी गई है.
रजिस्ट्रार, फर्म सोसाइटीज एवं चिट्स के द्वारा इस संबंधी आदेश प्रदेश के सभी उप निबंधकों व सहायक निबंधकों को जारी कर दिया गया है. की अब प्रबंध समिति के पदाधिकारियों से शपथपत्र लेना अनिवार्य होगा.
शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ी हुई समितियों में अच्छी छवि के लोग ही रहें. हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने यह व्यवस्था की है. यह आदेश उच्च न्यायालय द्वारा 27 अप्रैल को दिया गया था
प्रबंध समिति कार्यकारिणी के सदस्यों को अपने शपथपत्र में यह स्पष्ट करना होगा कि उसे किसी न्यायालय एवं प्राधिकारी द्वारा कभी दिवालिया घोषित नहीं किया गया है.
व कभी उसे किसी सक्षम न्यायालय द्वारा सोसाइटी अथवा निगमित निकाय के गठन, प्रोन्नति, प्रबंधन या कार्यकलापों के संचालन संबंधी किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी नहीं पाया किया गया है.
साथ ही इसके अलावा किसी सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसे किसी दांडिक अपराध में जिसके लिए दो वर्ष या उससे अधिक की सजा हो उसके के लिए दोषी करार दिया किया गया हो.
इन सभी मामलों में साफ छवि रहने पर ही व्यक्ति शैक्षणिक संस्थान की प्रबंध समिति का सदस्य रह पायेगा।