नई दिल्ली: राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने एकजुट होकर बिना किसी मुख्यमंत्री चेहरे के चुनाव लड़ने का फैसला किया है. पार्टी नेताओं का कहना है कि सितंबर तक उम्मीदवारों का चयन कर नामों की घोषणा कर दी जाएगी. साथ ही पार्टी ने सभी नेताओं को सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी नहीं करने की सलाह दी है जिसके उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की घोषणा की है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस की बैठक हुई. बैठक में राहुल गांधी सहित प्रदेश कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं बैठक ने में भाग लिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पैर में चोट होने के कारण उन्होंने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से बैठक में हिस्सा लिया.यह बैठक लगभग चार घंटे तक चली इस बैठक में चुनावी रणनीति व एकजुटता और आपसी मतभेदों के विषयों पर भी चर्चा की गई.
इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट की तरफ से उठाए जा रहे कई मुद्दों पर भी चर्चा की गई. महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बैठक में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए नियम बनाने और पेपरलीक रोकने से लिए सख्त सजा का विधेयक विधानसभा में जल्द लाने की बात कही है.
बैठक में यह भी कहा गया की वसुंधरा सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ जल्द कार्रवाई होगी. पार्टी नेतृत्व द्वारा सचिन पायलट की तीनों मांगों को मानने के बाद अब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच विवाद को खत्म माना जा रहा है. सचिन पायलट की भूमिका को भी जल्द किलीयर कर दिया जाएगा. बैठक की समाप्ति पर सचिन पायलट ने कहा कि हम सभी मिलकर चुनाव लड़ेंगे और सरकार बदलने की परंपरा को खत्म करेंगे.
कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से चर्चा करते हुए पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि राजस्थान कांग्रेस में कुछ मतभेद थे, पर अब पार्टी एकजुट है. प्रदेश मुख्यमंत्री चेहरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को घोषित नहीं करती है. हम सभी एकजुट होकर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. पार्टी शुक्रवार से गहलोत सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाएगी.
चुनावी घोषणा पत्र को तैयार करने के लिए आगामी 90 दिनों में समाज के सभी वर्गों व तबकों से राय-मशविरा किया जायेगा. और सरकार व संगठन के बीच समन्वय को और मजबूत बनाने पर जोर दिया जाएगा.