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महाराष्ट्र में गणेश उत्सव बनाने की परंपरा

नई दिल्ली: छत्रपति शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई के द्वारा पुणे के ग्रामदेवता कसबा गणपति की स्थापना की गई थी. तभी से कहते यह परंपरा चली आ रही है. छत्रपति शिवाजी महाराजा के बाद पेशवा राजाओं ने इस गणेशोत्सव को बढ़ावा दिया. इस दौरान महाराष्ट्र में सभी जगह भगवान गणेश पांडाल भव्य तरीके से सजाएं जाते हैं. ऐसा भी माना जाता है कि गणेश उत्सव की शुरुआत 1892 में शुरू हुई थी. पुणे निवासी कृष्णाजी पंत मराठा शासित ग्वालियर जाने पर

उन्होंने वहां पारंपरिक गणेश उत्सव को देखा था और फिर पुणे वापस आकर उन्होंने अपने मित्रों से इसकी चर्चा करके पहली मूर्ति की स्थापना की. लोकमान्य गंगाधर तिलक ने गणेश भगवान को ‘सबके भगवान’ मानकर इस गणेश चतुर्थी त्योहार को एक भारतीय त्योहार घोषित किया और इस पर्व को सार्जजनिक रूप से मनाने की घोषणा की.

सार्वजनिक गणपति उत्सव की शुरुआत 1893 में महाराष्ट्र से लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी . आज की तरह उस समय पंडाल बनाने की परम्परा नहीं थी और ना ही उस समय सामूहिक गणपति विराजते थे. कहते हैं कि गणपति उत्सव ने भी आजादी की लड़ाई में भी एक अहम् भूमिका निभाई थी . लोक मान्य गंगाधर तिलक द्वारा शुरू किए गए इस पर्व को आज भी सभी भारतीय पूरी श्रद्धा से मनाते हैं.

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