दिल्‍ली-एनसीआर

पीएम नरेंद्र मोदी ने किया डिजिटल जनजातीय संग्रहालय का उदघाटन, वीर आदिवासी नायकों को किया नमन

दिल्‍ली: देश के पहले डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. छत्तीसगढ़ के 25वें स्थापना दिवस पर पीएम मोदी ने ये सौगात जनता को दी. इस डिजिटल म्यूजियम में आदिवासियों का जनजीवन, जान नायकों की गौरव गाथा, लोक संस्कृति को नवीन तकनीक के साथ वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है. आदिवासी संग्रहालय को देखने के बाद पीएम मोदी ने इसकी जमकर सराहना की. पीएम ने कहा कि इस म्यूजियम को देखकर हम ये समझ सकते हैं कि कैसे हमारे वीर नायकों ने देश की आजादी और समाज को बदलने की दिशा में काम किया.

रायपुर में बना यह देश के पहला आदिवासी डिजिटल संग्रहालय है. शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह आदिवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय की भव्यता काफी सुंदर है. कुल 16 गैलरी का निर्माण यहां किया गया है. जिन 16 गैलरियों का निर्माण यहां किया गया है उसमें वीर आदिवासी जननायकों के बारे में विस्तार से बताया गया है. देश की आजादी में इन वीर नायकों का योगदान यहां अंकित किया गया है.

परलकोट विद्रोह 1824 से 1825 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में जमींदार गेंद सिंह के नेतृत्व में हुआ. विद्रोह अंग्रेजों और मराठा शासकों के शोषण और अत्याचार के खिलाफ आदिवासियों का एक बड़ा प्रतिरोध रहा. गेंद सिंह ने स्थानीय आदिवासियों को एकजुट करके उनके पारंपरिक हथियारों और मधुमक्खियों जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया.

तारापुर विद्रोह 1842 से 1863 तक हुआ. यह बस्तर में हुआ एक आदिवासी विद्रोह था. इस विद्रोह का नेतृत्व दलगंजन सिंह ने किया था और यह बेहिसाब टैक्स वसूली के खिलाफ था. इसके साथ ही मोरिया विद्रोह, रानी चो – चेरस आंदोलन, भूमकाल विद्रोह, कोई विद्रोह, लिंगा गढ़ विद्रोह, सोनाखान विद्रोह, हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम विद्रोह के बारे में विस्तार से बताया गया है.

संग्रहालय के निर्माण को लेकर पीएम मोदी ने राज्य शासन की जमकर तारीफ की. पीएम ने कहा कि एक ही जगह पर एक साथ सभी वीरों के बारे में जानकारी दी गई है जो अपने आप में बड़ी बात है. इस संग्रहालय के जरिए हमें अपने वीर नायकों को जानने, समझने का मौका मिलेगा. यहां बनाए गए 16 गैलरियों में कुल 650 मूर्तियों को रखा गया है. यहां रखी गई हर मूर्ति से जुड़ी जानकारी भी दी गई है. पूरा संग्रहालय मल्टीमीडिया, वीएफएक्स जैसी तकनीक से लैस है, साथ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र भी इसमें दिखाए गए हैं.

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