उत्तराखंड: राज्य में लंबे समय से चल रहे अतिक्रमण हटाने के अभियान के बीच सरकार ने अब इसके लिए SOP जारी कर दी है. इस SOP के लागू होने के बाद किसी भी अतिक्रमण को हटाने या ध्वस्तीकरण करने से पहले निर्धारित नियमों का पालन अनिवार्य होगा. नई SOP के तहत किसी भी अतिक्रमण को हटाने से पहले 15 दिन का नोटिस देना होगा. यह नोटिस कोड डाक से भेजने के साथ ही संबंधित संपत्ति पर चस्पा करना जरूरी होगा. इसकी सूचना जिलाधिकारी कार्यालय को भी देनी होगी. जिलाधिकारी स्तर पर एक नोडल अधिकारी भी नामित किया जाएगा.
खास बात यह है कि SOP जारी होने के तीन महीने के भीतर एक डिजिटल पोर्टल तैयार किया जाएगा. जिसमें सभी संबंधित सूचनाएं दर्ज होंगी. वहीं, अपील का प्रावधान होने पर संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का मौका दिया जाएगा. सक्षम अधिकारी को अपने निर्णय का कारण स्पष्ट करना होगा.
ध्वस्तीकरण का आदेश पारित होने के बाद कब्जेदार को 15 दिन का समय स्वयं अतिक्रमण हटाने के लिए दिया जाएगा. यह प्रावधान उन मामलों में लागू नहीं होगा जो न्यायालय में विचाराधीन हैं या जिन पर स्थगन आदेश लागू है. ध्वस्तीकरण से पूर्व प्राधिकारी को विस्तृत रिपोर्ट तैयार करनी होगी. जिस पर दो पंचों के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे. पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई जाएगी. मौके पर मौजूद अधिकारियों-कर्मचारियों का विवरण भी दर्ज किया जाएगा.
सबसे अहम प्रावधान यह है कि यदि ध्वस्तीकरण गलत पाया जाता है या न्यायालय से पहले से स्थगन आदेश मिल चुके हों, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी की होगी. ऐसी स्थिति में अधिकारी को न केवल तोड़े गए निर्माण का मुआवजा निजी रूप से देना होगा बल्कि पुनर्निर्माण का खर्च भी उठाना पड़ेगा.
खास बात यह है कि इन दिनों प्रदेश में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चल रहा है. इस दौरान कई मामले न्यायालय तक भी पहुंच रहे हैं. इसी को देखते हुए शासन ने अब इन मामलों के लिए मानक तय कर दिए हैं. जिससे यह पूरी प्रक्रिया दिए गए नियमों के अनुसार ही पूरी हो सके.
शहरी विकास विभाग के अपर सचिव संतोष बडोनी ने बताया इस मामले में न्यायालय स्तर पर भी निर्देश जारी किए गए थे. राज्य में अवैध अतिक्रमण हटाने को लेकर SOP की भी जरूरत महसूस की जा रही थी. ऐसे में अब इसके लिए SOP जारी कर दी गई है.