उत्तराखंड

वैकुंठ चतुर्दशी के सायं लाख दीयों से जगमग होगी हरकीपैड़ी, आप भी बनें इस खास पल के साक्षी

उत्तराखंड: वैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले मनाई जाती है. इस बार 4 नवंबर यानी आज को वैकुंठ चतुर्दशी पर्व मनाया जा रहा है. इसलिए भीड़ को देखते हुए धर्मनगरी हरिद्वार में गंगा सभा और प्रशासन ने आज गंगा घाट पर हर साल की तरह देव दीपावली एक दिन पहले मनाई जाएगी. आज वैकुंठ चतुर्दशी के पर्व पर हरिद्वार में लाखों दिए से गंगा घाट जगमग होंगे. श्रीगंगा सभा के सचिव उज्जवल पंडित की मानें तो आज शाम का दृश्य हरकीपौड़ी में देखने लायक होगा. वहीं आज गंगा आरती सायं छह बजे से शुरू होगी, जबकि आरती की समाप्ति के तुरंत बाद दीप जलाकर दिवाली मनाई जाएगी.

हरिद्वार में कल कार्तिक पूर्णिमा के दिन नहीं बल्कि आज देव दीपावली मनाई जा रही है. इसका कारण है कल गंगा स्नान के लिए होने वाली भीड़ को देखते हुए गंगा सभा और प्रशासन ने ये फैसला लिया है कि आज गंगा घाट पर हर साल की तरह देवदीपवाली मनाई जाएगी. आज वैकुंठ चतुर्दशी के पावन अवसर पर लाखों दिए से गंगा घाट जगमग होंगे. गंगा सभा के सचिव उज्जवल पंडित ने कहा कि आज धर्मनगरी के घाटों का नजारा देखने लायक होगा.

मान्यता है कि देव दीपावली के दिन देवता दिवाली मनाते हैं. पुराणों के अनुसार देव दिवाली के दिन ही भगवान विष्णु को बलीराजा से मुक्ति मिली थी, इसी दिन वो स्वर्ग पधारे थे. जिसके बाद सारे देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा के दिन मंदिरों में देव दिवाली मनाई जाती है. देवताओं द्वारा मनाई जाने वाली दीवाली धरती को ऊर्जा देती है. कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर हरकीपैड़ी, ब्रह्मकुंड पर भी ये दीपावली हर साल बेहद बड़े स्तर पर मनाई जाती है. साथ ही आतिशबाजी से भी माहौल भक्तिमय हो जाता है. श्रीगंगा सभा के सचिव की मानें तो इस दिन देवताओं के निमित्त दीपदान का आध्यात्मिक महत्व है.

देव दिवाली के दिन देवताओं के लिए दीपदान किया जाता है. उससे हमारे जीवन में आजीवन उजाला रहता है. क्योंकि दीप प्रकाश का प्रतीक है, यह परंपरा अनादि काल से चली आ रही है. कल गंगा स्नान होने की वजह से वैकुंठ चतुर्दशी को ये कार्यक्रम किया जा रहा है. अगर आप भी हरिद्वार में रहते हैं या इस बेहद खास पल के गवाह बनना चाहते हैं तो समय से गंगा घाट पहुंचे. आज की गंगा आरती 6 बजे होगी, जबकि आरती की समाप्ति के तुरंत बाद दीप जलाकर दिवाली मनाई जाएगी. गंगा सभा इस कार्यक्रम को खुद अपनी देखरेख में करवाता है, अगर आप चाहे तो खुद भी अपने साथ दीपक ला सकते हैं.

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