उत्तराखंड: ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा का मॉनसून सत्र दो दिन भी सही से नहीं चला सका. हंगामे के चलते मॉनसून सत्र में सिर्फ 2 घंटे 40 मिनट ही चल पाया. मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल भी नहीं हुआ. वहीं बीजेपी सरकार की कार्यशैली से नाराज नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है. इसको लेकर दोनों की तरफ से एक लेटर भी जारी किया गया है.
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को अपना इस्तीफे भेजा है. त्यागपत्र के जरिए दोनों नेताओं ने कहा कि पिछले कई विधानसभा सत्रों में कार्यमंत्रणा समिति में संख्या बल के आधार पर मनमानी का माहौल हो रहा है.
#कार्यमंत्रणा_समिति_से_इस्तीफा : सरकार सदन चलाने में तानाशाहीपूर्ण रवैया अपना रही है। आज नेता प्रतिपक्ष श्री यशपाल आर्य जी के साथ कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य पद से इस्तीफा सौंपा।#मानसून_सत्र pic.twitter.com/SfOiX8W2Ge
— Pritam Singh (@incpritamsingh) August 20, 2025
लेटर में साफ लिखा है कि वर्तमान मॉनसून सत्र में कार्यसमिति की बैठक से पहले सभी सदस्यों को मॉनसूत्र सत्र का संभावित कार्यक्रम भेजा गया था, जिसके तहत भराड़ीसैंण में मॉनसून सत्र 19 अगस्त से 22 अगस्त तक आहूत होना था. 18 अगस्त को बुलाई गई कार्यमंत्रणा समिति बैठक में केवल 19 अगस्त के उपवेशन कार्यक्रम तय किया गया था. 19 अगस्त के उपवेशन के बाद दोबारा बैठक बुलाने की बात कही गई थी. लेकिन 19 अगस्त को कोई बैठक नहीं बुलाई गई.
विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि आज 20 अगस्त को भी दोपहर बाद सत्र को अनिश्चित काल के लिए अवसान कर दिया. सरकार को ये निर्णय लेने से पहले कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलानी चाहिए और कार्यमंत्रणा समिति के सदस्यों को विश्वास में लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ.
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह का आरोप है कि सरकार सदन को चलाने में अपना तानाशाहीपूर्ण रवैया अपना रही है. भराड़ीसैंण में आहूत सदन को दो दिनों के भीतर स्थगित करना उत्तराखंडवासियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है.
जब कार्यमंत्रणा समिति में सभी फैसले एक तरफा लिए जाने हैं तो ऐसी कार्यमंत्रणा समिति में हमारे सदस्य के रूप में रहने का कोई मतलब नहीं है. इसीलिए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह दोनों ने कार्यमंत्रणा समीति के सदस्य से पद से इस्तीफा दे दिया. बता दें कि कार्यमंत्रणा समीति का काम सदन में सरकारी कामकाज और अन्य कार्यों के लिए समय का आवंटन करना है. जिससे सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके.
इसके साथ ही कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने साफ किया है कि अब वो जनता की लड़ाई सड़क पर लड़ेंगे. आज शाम को कांग्रेस के सभी नेता भराड़ीसैंण में मोमबत्ती चलाकर अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. उसके बाद वो इस लड़ाई को सड़क पर लड़ेंगे. वहीं सदन की कार्यवाही मात्र 2 घंटे 40 मिनट ही चल पाई. इस पर प्रीतम सिंह ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी उनकी नहीं, बल्कि सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की है.
प्रीतम सिंह ने साफ किया है कि प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर कांग्रेस, बीजेपी सरकार को घेरना चाहती थी. लेकिन पंचायत चुनाव में जिस तरह के सत्ता का दुरुपयोग किया गया है, कांग्रेस उसे सदन में उठाना चाहती थी. लेकिन उस पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई.