उत्तर प्रदेश: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ‘संस्कृत छात्रवृत्ति योजना’ की शुरुआत की. प्रदेश के संस्कृत के विद्यार्थियों को पहली बार एकसाथ छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिल सकेगा. सीएम योगी ने इस मौके पर 69,195 विद्यार्थियों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति का वितरण किया. उन्होंने मंच से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में 12 बच्चों को प्रतीकात्मक चेक प्रदान करके स्काॅलरशिप स्कीम लाॅन्च की. उन्होंने कहा कि सोमवार तक 69,195 छात्रों के बैंक अकाउंट में छात्रवृत्ति की धनराशि पहुंच जाएगी. बता दें कि इस योजना का लाभ संस्कृत के सभी विद्यार्थियों को मिलना है. फिलहाल 69,195 छात्रों को लाभ मिल रहा है. आगे चलकर इस योजना का दायरा बढ़ेगा और लाभार्थी छात्रों की संख्या में भी इजाफा होगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज वाराणसी में थे. यहां उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में ‘संस्कृत छात्रवृत्ति योजना’ की शुरुआत की. कार्यक्रम के मंच पर उनके साथ कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवींद्र जायसवाल, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ मौजूद थे. इनके साथ ही वाराणसी से महापौर अशोक तिवारी, विधायक नीलकण्ठ तिवारी, डॉ. सुनील पटेल, सौरभ श्रीवास्तव, नील रतन सिंह, त्रिभुवन राम, डॉ. अवधेश सिंह कार्यक्रम में मौजूद थे.
संस्कृत छात्रवृत्ति योजना के शुभारंभ एवं 69,195 विद्यार्थियों को ₹586 लाख की छात्रवृत्ति के संवितरण हेतु सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में आज आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ।
यह समारोह संस्कृत भाषा, भारतीय संस्कृति और उसकी आत्मा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण… pic.twitter.com/QINK7IWxYC
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 27, 2024
नम: पार्वती पतये, हर-हर महादेव’ के जयघोष के साथ सीएम योगी ने अपने भाषण की शुरुआत की. उन्होंने कहा कि यह समारोह संस्कृत के लिए, भारतीय संस्कृति के लिए और उसकी आत्मा की दृष्टि से महत्वपूर्ण समारोह है. मुझे आश्चर्य होता है गरीब छात्रों के लिए छात्रवृत्ति होनी चाहिए. लेकिन, संस्कृत को उससे क्यों उपेक्षित किया गया मुझे नहीं समझ आया. अभी तक केवल 25 करोड़ की आबादी में केवल 300 बच्चों के लिए स्कॉलरशिप की व्यवस्था थी. वह भी छात्रों को पता नहीं होता था और कोई आवेदन नहीं कर पाता था.
सीएम योगी ने कहा, कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्विद्यालय से जब प्रथमा, पूर्व मध्यमा, उत्तर मध्यमा की भी मान्यता प्राप्त होती थी तब नेपाल और देश के अलग-अलग जगहों के छात्र काशी और गोरखपुर में भी अध्ययन करने के लिए आते थे. साल 2001 में उत्तर प्रदेश संस्कृत परिषद बना. परिषद को मान्यता नहीं मिली, लेकिन छात्रों प्रवेश होता रहा. कभी प्रयास नहीं हो पाया कि हम इस संस्कृत परिषद को मान्यता दिला पाएं. मैंने एक बार पूछा कि संस्कृत से छात्र क्यों भाग रहे हैं तो पता लगा कि मान्यता न होने के कारण बाहर के बच्चे अब आने से कतराते हैं.