उत्तर प्रदेश: वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को उच्चस्तरीय बैठक में घोषणा की कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में संत कबीर टेक्सटाइल एवं अपैरल पार्क योजना के तहत वस्त्र एवं परिधान पार्क स्थापित किए जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि महान संत कबीर ने अपने जीवन दर्शन में श्रम, सादगी और आत्मनिर्भरता को सर्वोपरि माना था. इसी भाव को आधार बनाकर यह योजना तैयार की जा रही है. उन्होंने विश्वास जताया कि योजना निवेश, उत्पादन और रोजगार के नए अवसर तो प्रदान करेगी ही, साथ ही परंपरा और आधुनिकता का संतुलन भी स्थापित होगा.
बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र से जुड़े 659 निवेश प्रस्ताव निवेश सारथी पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं. इनके लिए 1,642 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी. कुल निवेश मूल्य लगभग 15,431 करोड़ रुपये आंका गया है और इसके जरिए 1,01,768 नए रोजगार अवसर सृजित होने का अनुमान है. प्रत्येक पार्क न्यूनतम 50 एकड़ भूमि पर विकसित होगा और इनमें प्रसंस्करण इकाइयों के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) की स्थापना अनिवार्य होगी. साथ ही बटन, ज़िपर, लेबल, पैकेजिंग और वेयरहाउस जैसी सहायक इकाइयों का भी विकास किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निवेश प्रस्तावों को तेजी से किया जाए और भूमि की पहचान व विकास कार्य में तेजी लाई जाए. उन्होंने कहा कि पार्कों का क्रियान्वयन पीपीपी मॉडल अथवा नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा. सरकार की ओर से पार्कों तक सड़क, विद्युत और जलापूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जाएंगी.
मुख्यमंत्री ने युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन को इस योजना का मुख्य लक्ष्य बताया. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का वस्त्र एवं परिधान निर्यात हुआ, जो देश के कुल निर्यात का लगभग 9.6 प्रतिशत है. इस क्षेत्र से वर्तमान में प्रदेश में 22 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्राप्त है और इसका राज्य की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत योगदान है.
बैठक में पावरलूम बुनकरों के हित में भी अहम निर्णय लिए गए. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि बुनकरों से संवाद स्थापित कर उनकी अपेक्षाओं को समझा जाए. उन्होंने कहा कि सरकार बुनकरों को सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है और पावरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि बुनकर परिश्रम और परंपरा के प्रतीक हैं. उनके हाथों से बना कपड़ा पूरे विश्व में पहचान रखता है. सरकार उनके श्रम का सम्मान करने के लिए संकल्पित है.