दिल्ली: डी.ए.वी. वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 गांधीनगर दिल्ली -31 में 04/09/2025 गुरुवार को शिक्षक दिवस सम्मान समारोह बहुत भव्य रूप से मनाया गया. सर्वप्रथम दीप प्रज्वलन द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया तथा उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत कराया गया. जिसमें श्रीमती सत्या शर्मा (अध्यक्ष स्थाई समिति दिल्ली नगर निगम ), श्रीमती नीलम चौधरी (निगम पार्षद आजाद नगर दिल्ली तथा अध्यक्षता सामुदायिक सेवा समिति )एंव श्रीमती प्रिया कंबोज( पार्षदा गांधीनगर दिल्ली) श्री महिपाल जी( दिल्ली प्रांत व्यवस्था टोली सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) एवं श्री सतीश शर्मा जी( दिल्ली प्रांत सह बौद्धिक प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) विद्यालय के अध्य्क्ष श्री नरेश शर्मा प्रबंधक श्री गिरजेश रुस्तगी एवम विद्यालय के प्रधानाचार्य श्री लखीराम जी उपस्थित रहे.
श्री नरेश चौहान जी ने गुरू की महिमा पर एक गीत सुनाया गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः. गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥” .प्रिया कंबोज जी व नीलम चौधरी जी ने भी अपने विचार प्रकट किए, तत्पश्चात मिस्टर एवं मिस. डी.ए.वी.1 बनाये गए जिसमे श्रीमान रमेश जी को mr.D.a.v 1चुना गया तथा श्रीमती श्रीमती नीलम मैम को ms.Dav 1 चुना गया तत्पश्चात महिपाल जी नें चंद्रगुप्त मौर्य की कथा के द्वारा गुरु की महिमा का वर्णन किया गया. शिक्षकों द्वारा गुब्बारे वाला खेल खेला गया जिसमें श्रद्धा जी द्वारा खेल को जीता गया. दूसरा गेम श्रीमती बलविंदर कौर जी द्वारा जीता गया. अगला खेल उर्वशी तोमर जी द्वारा जीता गया. सत्या शर्मा जी ने गुरुओं के प्रति उनके भाव प्रकट किए गए। तत्पश्चात विद्यालय के अध्यक्ष नरेश शर्मा जी द्वारा बताया गया की” गुरु वह है जो ज्ञान दे.
संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है. इस आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु माता-पिता को माना जाता है. दूसरा गुरु शिक्षक होता है जो अक्षर ज्ञान करवाता है”. तत्पश्चात पवन जैन जी,संजय शर्मा जी,राजेश शर्मा जी, उमेश सेतिया जी,पदम चंद जी का परिचय व स्वागत करवाया गया. सतीश जी का उद्बोधन हुआ है जिसमें उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य के विषय में बताया तथा श्री गुरु जी माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर तथा महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी के बारे में बताया. पश्चात प्रबंधक गिरिजेश रुस्तगी के द्वारा आए हुए अतिथियों का धन्यवाद किया गया. कुछ इस प्रकार किया गया”गुरु बिना ज्ञान कहां, उसका जीवन सुनसान, गुरु ही हैं जो सिखाते हैं, इंसानियत की पहचान”. तत्पश्चात शिक्षकों एवम समस्त स्टॉफ को उपहार दिए गए।मंच का संचालन श्रीमति रेनू जोशी और आशुतोष जी द्वारा बहुत सुंदर ढंग से कियां गया. “गुरु का ज्ञान हमें जीवन की सच्ची राह दिखाता है, और उनकी कृपा से ही हम जीवन में सफल होते हैं”. अन्त में जलपान के साथ समारोह का समापन हुआ.