दिल्ली: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश गोलचा को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है. इस घोषणा ने राजधानी के सुरक्षा व प्रशासनिक परिदृश्य में एक नई दिशा तय की है. 1992 बैच के AGMUT कैडर के अधिकारी सतीश गोलचा तिहाड़ जेल के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे.
31 जुलाई को संजय अरोड़ा के सेवानिवृत्त होने के बाद से दिल्ली पुलिस आयुक्त का पदभार एसबीके सिंह को दिया गया था. लेकिन एसबीके सिंह को दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद से हटकर अब वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश गोलचा को दिल्ली पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है. इसके पीछे यह भी कारण माना जा रहा है कि बुधवार को मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर सुरक्षा में चूक के कारण हमले का प्रयास हुआ. इसके बाद से मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगी दिल्ली पुलिस को हटा दिया गया है. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में सीआरपीएफ के जवानों को लगाया गया है.
आइए जानते हैं सतीश गोलचा के बारे में, उनका अब तक का कार्यकाल कैसा रहा ? दिल्ली पुलिस का मुखिया बनाए जाने पर क्या बदलाव देखने को मिल सकता है. दरअसल, सतीश गोलचा की छवि एक ‘नो-नॉनसेंस’, अनुशासनप्रिय व ईमानदार पुलिस अधिकारी के रूप में रही है. उन्होंने अपने कार्यकाल में न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि जेल प्रशासन के क्षेत्र में भी अपनी प्रशासनिक दक्षता सिद्ध की है. दिल्ली पुलिस की संवेदनशील व जटिल कार्यप्रणाली में उनका योगदान निर्णायक रहा है.
सतीश गोलचा का कार्यकाल विविध जिम्मेदारियों से भरा रहा है. दिल्ली पुलिस में सतीश गोलचा डीसीपी, ज्वाइंट सीपी और स्पेशल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर), स्पेशल सीपी (लॉ एंड ऑर्डर तथा इंटेलिजेंस) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुके हैं. वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान कानून-व्यवस्था संभालने की उनकी भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही थी. वर्ष 2022 से 2023 तक वह अरुणाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे, जहां उन्होंने उग्रवाद व सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को लेकर कठोर और व्यावहारिक निर्णय लिए थे, जिससे कानून व्यवस्था में काफी सुधार हुआ था. इसके बाद गोलचा को अप्रैल 2024 में तिहाड़ जेल का महानिदेशक नियुक्त किया गया था.
तिहाड़ भारत की सबसे संवेदनशील जेल व्यवस्थाओं में से एक है. यहां नियुक्ति के बाद सतीश गोलचा ने सुरक्षा, अनुशासन व सुधार पर विशेष ध्यान दिया गया. सीसीटीवी निगरानी प्रणाली को व्यापक रूप से विस्तारित किया गया. जेल में कैदियों के लिए स्वास्थ्य जांच, शिक्षा व सुधारात्मक प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ हुए. मोबाइल फोन तस्करी, जेल हिंसा और राजनीतिक हस्तक्षेप पर सख्ती से नियंत्रण करने की भी कोशिश की गई. लेकिन तिहाड़ में अभी भी कई व्यवस्थागत चुनौतियां बनी हुई हैं.
जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से दुगुनी से अधिक है. जेल में स्टाफ की कमी और कैदियों में वर्गीय भेदभाव की शिकायतें सामने आती हैं. सीसीटीवी कैमरों की प्रभावशीलता पर सवाल उठे, विशेष रूप से जेल में हुई हिंसाओं के मामलों में सवाल खड़े हुए. सतीश गोलचा को दिल्ली पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त पदभार देने कई कारणों से सामयिक और रणनीतिक माना जा रहा है. अनुभव व सीनियरिटी उन्हें निर्णयात्मक स्थितियों में भरोसेमंद बनाती है. दिल्ली की सामाजिक-सुरक्षा चुनौतियों की गोलचा को गहरी समझ है. जेल व पुलिस तंत्र के बीच समन्वय का उनका अनुभव विशेष रूप से उपयोगी हो सकता है. उनकी राजनीतिक निष्पक्षता व व्यवस्थागत अनुशासन प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं.
हालांकि, सतीश गोलचा के सामने चुनौती यह होगी कि वे पुलिस बल की तेजी से कार्यप्रणाली और जेल की दीर्घकालिक सुधार प्रक्रिया के बीच संतुलन कैसे बनाते हैं. उनके नेतृत्व में यदि प्रशासनिक समन्वय व सार्वजनिक भरोसे की वृद्धि होती है, तो वे एक स्थायी नियुक्ति के मजबूत दावेदार बन सकते हैं. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि वह राजधानी दिल्ली की बहुस्तरीय कानून-व्यवस्था को किस प्रकार दिशा देते हैं.
दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष और पूर्व एसीपी वेद भूषण का कहना है कि दिल्ली में अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था मजबूत करने के लिए दिल्ली कैडर के ही आईपीएस अधिकारी को पुलिस आयुक्त बनाने की मांग की गई थी. सतीश गोलचा भी दिल्ली कैडर के हैं और सबसे सीनियर और अनुभवी अधिकारी हैं. उनके दिल्ली पुलिस आयुक्त बनाए जाने से राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होगी.