दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग के फॉर्मूले पर सहमति बन गई है. जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार झा ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है. इस लिस्ट के मुताबिक बीजेपी और जेडीयू 101-101 सीटों पर लड़ेंगे.
सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के तहत जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. वहीं जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के हिस्से में 6-6 सीटें आईं हैं.
हम NDA के साथियों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में सीटों का वितरण पूर्ण किया है।
JDU – 101
BJP – 101
LJP(R)- 29
RLM – 06
HAM – 06एनडीए के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता साथी इसका हर्ष के साथ स्वागत करते हैं और मुख्यमंत्री @NitishKumar जी को प्रचंड बहुमत के साथ फिर से…
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) October 12, 2025
सीट बंटवारे से ये साफ हो गया कि अब बिहार एनडीए में कोई बड़ा भाई नहीं है. बीजेपी और जेडीयू इस बार बराबर-बराबर यानी 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि इसके पहले के सभी विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार की पार्टी को बीजेपी से अधिक सीटें मिलती थी.
वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि पहली बार एनडीए अब ना कोई बड़ा भाई रहा ना कोई छोटा भाई. इसका एक बड़ा कारण यह भी माना जा सकता है कि 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू को 12-12 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि बीजेपी ने जेडीयू से एक अधिक सीट 17 सीट पर लड़ी थी.
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी को मनमुताबिक सीटें नहीं मिली. वह 15-20 सीट चाहते थे लेकिन मात्र 6 सीटें मिलीं. 2020 की तुलना में उनको एक सीट का घाटा हुआ है. पिछली बार उन्होंने 7 सीटों पर लड़कर 4 पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार 15 की डिमांड के बावजूद सीट बढ़ाने की बजाय कम कर दी गई.
2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने सबसे अधिक 115 सीटों पर लड़ा था, जबकि बीजेपी ने 110 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को 7 सीटें दी गईं थीं. चिराग पासवान ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए से अलग थे, उनकी पार्टी ने 104 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे.
एनडीए में 74 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि जेडीयू को 43 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, हम पार्टी के हिस्से में 4 सीटें आईं थीं. वहीं एनडीए से अलगे लड़ने वाले चिराग को एक सीट पर सफलता मिली, जबकि उपेंद्र कुशवाहा का खाता भी नहीं खुला. इसके अलावे मुकेश सहनी भी उस समय एनडीए में थे. उन्होंने 11 सीटों पर लड़कर 4 पर जीत हासिल की.