गाजियाबाद : गाजियाबाद के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने लापरवाह अधिकारियों का वेतन रोक दिया है. जिलाधिकारी के आदेश पर 35 अधिकारियों का वेतन रोका गया है. जिलाधिकारी के इस आदेश के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है. जिलाधिकारी का वेतन रोकने का आदेश सरकारी कार्यप्रणाली में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. माना जा रहा है कि जिलाधिकारी कैसे निर्णय के बाद अधिकारियों का लापरवाह रवैया काफी हद तक ठीक होगा.
जिलाधिकारी द्वारा 35 अधिकारियों का वेतन रोका गया है. जिनका 1 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक संतुष्ट फीडबैक प्रतिशत पोर्टल पर शून्य प्रदर्शित हो रहा है. अधिकारियों के संतुष्ट फीडबैक का प्रतिशत पोर्टल पर शून्य प्रदर्शित होने के कारण जनपद की आईजीआरएस रैंकिंग पर प्रभाव पड़ता है. अधिकारियों की लापरवाही और उदासीनता के कारण जनपद की छवि शासन के समक्ष धूमिल होती है. जिलाधिकारी ने मुख्य कोषाधिकारी गाजियाबाद को निर्देशित किया है की अग्रिम आदेशों तक सभी 35 अधिकारियों का मासिक वेतन ट्रांसफर ना किया जाए.
सितंबर माह में जन अधिकारियों के आईजीआरएस के निस्तारण का फीडबैक संतोषजनक नहीं था. ऐसे 35 अधिकारियों का वेतन जिलाधिकारी द्वारा रोका गया है. जिलाधिकारी द्वारा अधिकारियों को निर्देशित किया गया है आईजीआरएस के निस्तारण में सुधार करें. शिकायतकर्ता की संतुष्टि को वरीयता दें और सही ढंग से शिकायतों का निस्तारण करें. जिससे कि फीडबैक का प्रतिशत बढ़ सके.
अधिकारियों को जिलाधिकारी द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि जो शिकायतें आइजीआरएस पोर्टल पर प्राप्त हो रहे हैं. उनका ठीक प्रकार से निस्तारण करने के पश्चात शिकायतकर्ता को सूचित करें. शिकायतकर्ता की शिकायत का मौके पर जाकर स्थलीय निरीक्षण कर गुणवत्ता पूर्वक निस्तारण करें.आम जनता की शिकायतों का गुणवत्ता पूर्ण निस्तारण शासन की पहली प्राथमिकता है.
शासन की मंशा है कि अधिकारी गुणवत्तापूर्ण तरीके से आम जनता की मंरें. आईजीआरएस पर जब अधिकारियों द्वारा शिकायतों का निस्तारण कर दिया जाता है उसके पश्चात मुख्यालय से संबंधित शिकायतकर्ता को फोन करके फीडबैक लिया जाता है. फीडबैक लेने का उद्देश्य है कि पता लगाया जा सके कि शिकायतकर्ता निस्तारण से संतुष्ट है या नहीं.