(सुशील कुमार शर्मा)
लखनऊ: गोमती पुस्तक महोत्सव- 2025, लखनऊ बुक फेयर के अवसर पर ‘प्रेस क्लब लखनऊ’ के खचाखच भरे सभागार में गत 26 सितंबर ,2025 को तीन किताबों का लोकार्पण, सम्मान- समारोह एवं गद्य-व्यंग्य पाठ अद्विक प्रकाशन दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश व्यंग्य सभा की ओर से किया गया. संजीव जायसवाल संजय के उपन्यास “अभिलाषा” एवं बाल कहानी “ प्यारे प्यारे दोस्त” , दयानंद पांडेय के संस्मरण संग्रह “ यादों की देहरी” व समलैंगिकता पर केंद्रित महेंद्र भीष्म के उपन्यास “ हाँ, मैं हूँ “ का लोकार्पण उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के पूर्व निदेशक डा. सुधाकर अदीब, डा. सुरेन्द्र विक्रम, सर्वेश अस्थाना एवं पंकज प्रसून ने किया. कार्यक्रम सायं 5 बजे से 8 बजे तक चला.
महेन्द्र भीष्म ने कहा कि देश की अब बड़ी आबादी समलैंगिक है उनको समाज में सर उठा कर जीने का हक है. उनको भी सारे हक बिना दया के मिलने चाहिए. जो जैसे हैं उन्हें वैसे ही स्वीकार करना होगा. दयानंद पांडे ने बताया कि कैफ़ी आज़मी, योगेश प्रवीन, नरेंद्र कोहली, कृष्ण बिहारी नूर से जुड़े ऐसे संस्मरण हैं , जो गुदगुदाते हुए आँखों में नमी ला लेंगे. संजीव जायसवाल संजय ने किताब के संदर्भ में बताया कि मानवता का सबसे क्रूरतम अपराध है बाल यौन शोषण. उन्होंने इसी उत्पीड़न को लेकर लेकर एक मनोवैज्ञानिक उपन्यास लिखा है.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एमएलसी डॉ. पवन सिंह चौहान ने सृजन संस्था के तीस कवियों को “सृजन के सितारे” सम्मान से नवाज़ा. आईएएस डा. अखिलेश मिश्रा ने कहा कि किताबें पठनीय हों, सरल हो, जिसे आज की पीढ़ी समझ सके. सर्वेश अस्थाना ने कहा कि लखनऊ के लेखकों की किताबें देश- दुनिया में सबसे ज़्यादा पढ़ी जाती हैं. कार्यक्रम के व्यंग्य- पाठ सत्र में के. कांत अस्थाना की अध्यक्षता में पंकज प्रसून, अलंकार रस्तोगी, पवन जैन, परवेश जैन ने व्यंग्य पाठ किया. व्यंग्य सभा के संयोजक पंकज प्रसून ने पढ़ा “ कुर्सी का पानी से गहरा नाता है, कुर्सी छिनते ही आँखों में पानी भर जाता है, और कुर्सी मिलते ही आँखों का पानी मर जाता है. धन्यवाद ज्ञापन आद्विक प्रकाशन के एमडी अशोक गुप्ता ने किया.